बांगड़ूनामा

कैफ़ी आज़मी, जिनका लिखा बार बार याद आया

जनवरी 15, 2019 ओये बांगड़ू

उर्दू के एक अजीम शायर कैफ़ी आज़मी एक ऐसा नाम रहा जिनका लिखा हर अंदाज़ में लोगों को पसंद आया.फिर वह चाहे शेरो शायरी हो,नज्में या बॉलीवुड में यादगार बन जाने वाले नगमें. कैफ़ी का असली नाम अख्तर हुसैन रिज़वी था.बचपन से ही शेरो शायरी करने वाले कैफ़ी ने हमेशा बराबरी की बात को तवज्जों दी. वो बेकरार दिल’, ‘ये नयन डरे डरे’, झुकी झुकी सी नजर बेकरार है की नहीं जैसे कई सदाबहार गाने कैफ़ी की ही कलम का कमाल थे.कैफ़ी आज़मी का लिखा पढने वाले के जहन में एक अलग ही जगह बना जाता है.

 

जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को

सौ चराग अँधेरे में जगमगाने लगते हैं

 

फूल क्या शगूफे क्या चाँद क्या सितारे क्या

सब रकीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं

 

रक्स करने लगतीं हैं मूरतें अजन्ता की

मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं

 

फूल खिलने लगते हैं उजड़े उजड़े गुलशन में

प्यासी प्यासी धरती पर अब्र छाने लगते हैं

 

लम्हें भर को ये दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है

लम्हें भर को सब पत्थर मुस्कुराने लगते हैं.

 

 

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