निस्संदेह वे डरते हैं,
न डरते नदी से
तो क्यों बनाते बाँध उसे रोकने को?
रोक कर उसे
कहते हैं वे
तू स्थिर है, मूक है, प्रवाहविहीन है,
हमने तुझे रोक लिया,
हमे दर नहीं लगता तुझसे,
मगर कहते हुए यह,
करते हैं स्वयं अपना उपहास
क्योंकि न डरते नदी से तो क्यों बनाते बाँध?
सीमीं अख़्तर नक़वी समसामयिक पर खुल कर लिखने वाली महिला हैं