जिंदगी म्ह अपना मुकाम तलाशता एक मुसाफिर! कदे इंजीनियरिंग तो कदे वकालत म्ह कूदन वाला एक किसान का बालक..अपने विचार अपने भाव बयां करने की कोशिश करता एक बेचैन आत्मा..प्रेम की तलाश म्ह भटकता एक भावुक इंसान। मनजीत फोगाट मुसाफिर
मेरी रामप्यारी,
क्यों रुस रही सै काल त। तने बेरा सै मेरा जी नही लागदा तेरे त बात करे बिना..किमे तो उँ ए आपणी बात घाट हॉवे सैं…किमे तू जब्बे मुंह फुला के बैठ ज्या सै… रे बावली लाडले माणस त मुंह नही फुलाना चाहिए…
तने सब बेरा सै कि कितना ओखा होवे सै आपणी जान ते दूर रहना..किमे मेरे भीतरले का बी ख्याल कर ले…जब तू खड़ी हो ज्या सै ना मुंह फुला के…अर मैं तने टोके जाऊ सूं.. अर मने बेरा सै तने सारी सुने हैं..तू जान करके ना बोलदी। देख आछी बात नही सै या..के तो मान ज्या ना तो तने बेरा ए है मैं के करूँगा..
ले करना तो के है खैर..तेरे आगे के पार बसावे है मेरी…तेरी ए बाट देखनी पड़ेगी मानन की। तेरे ए आगे हाथ पाँ जोड़ने पड़ेंगे..
मखा इतने हाथ तो मने कदे भगवान आगे बी ना जोड़े मंदिर म्ह…जितने तेरे त मनान ने जोड़ने पड़े सैं.. गलत बी के सै.. म्हारा तो तू ए भगवान सै तू ए देबी देवता। तू रुस ज्या है ना..तो म्हारा भगवान ए रुस ग्या समझ ले..
मान ज्या रामप्यारी..बसा ले आपणै ढूंढ ने..देख रल मिल के काम करांगे तो ए किमे सहारा लागेगा। तेरी सारी ए बात मान लयूंगा मैं आगे..
अर तू न्यू देख अक setting ने तो लव लेटर दुनिया लिखदी देखी..आपणी घर आली ने कूण लिख्या करे…अर मैं फेर बी लिखण लाग रहया तेरे ताहि…अर न्यू ए मान लिए अक यो खून त लिख्या सै.. बाकी तने बेरा ए सै मेरे म्ह खून पहले ए थोड़ा सै… किमे तू रुसे है जब फुंक ज्या सै बचदा। और करूँ बी के…बोलदी तो तू सै नही..के बेरा लिखे होड़ का ए जवाब दे दे..
देखिये मेरी बी करिए थोड़ी सी ख्यावस।
तेरा आपणा..
भरथु
फोगाट
लाजवाब
शुक्रिया .
गज़ब एकदम देसी
शुक्रिया