बांगड़ूनामा

लाला,ललाईन और लल्ला -2

जुलाई 21, 2017 कमल पंत

मेरी अच्छी कटने लगी थी, प्राईवेट स्कूल के मास्टर मेरे बाप के पंडिताई के डर से मुझे ढंग से सारा काम करवा देते और पैसा एक एक्स्ट्रा नहीं लेते, उलटा गणित का मास्टर तो मुझे गणित की फ्री ट्यूशन देने को तैयार हो गया था घर आकर, लेकिन पिताजी जानते थे कि घर के हाल देखकर मास्टर का भरोसा पंडित की पंडिताई से उठ जाएगा इसलिए उन्होंने खुद को निजी ट्यूशन के सख्त खिलाफ वाले क्रांतिकारी रूप में सबके सामने ला दिया था. उधर लल्ला के पिताजी लल्ला को दिनों दिन और ज्यादा बिगड़ते देख परेशान हो रहे थे, सरकारी स्कूल में उसकी गैंग में सिर्फ कुछ लोग थे लेकिन यहाँ प्राईवेट स्कूल में उसने सभी बच्चों को अपने गैंग में कर लिया था, वह लोगों को सब तरह के लालच दिया करता था ,साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल उससे बेहतर कोइ जानता ही नहीं था. पिताजी के गोलमाल करके कमाए हुए रूपयों को वैतरणी पार वही लगा रहा था.लेकिन मैं उससे बचकर चलने लगा था,वह हर मामले में मुझे आगे कर देता था, मैं जानता था कि इससे यारी टूटी तो स्कूल की फीस सीधा बाप के सर में आ पड़ेगी और वो फीस देने के बदले स्कूल में शनी का प्रकोप निकाल आएगा. इसलिए मैं उसके साथ बस एक बैग उठाने वाले कुली की तरह रहता था बाकी उससे मेरा कोइ वास्ता नहीं था. लेकिन वो बड़ा दिलदार था. अपने घर से हमेशा दो टिफिन लाता हमेशा की तरह एक मेरे लिए और एक अपने लिये. लेकिन जबसे मैंने उससे कन्नी काटना शुरू किया उसने दूसरा टिफिन रास्ते में कुत्ते को खिलाना शुरू कर दिया.

एक्साम के दिन नजदीक आ रहे थे और लल्ला मुझसे दूर हो चुका था, अगर मेरी एक्साम फीस नहीं भरी जाती तो एक्साम में बैठने की सख्त मनाही थी. उधर लल्ला जुए में इतना ज्यादा बिजी हो गया था कि उसे फीस और एक्साम की परवाह ही नहीं थी. लाला जी अक्सर मुझसे पूछ लिया करते कि हमार लल्ला की पढाई कैसे चल रही तो मैं झूठ बोल देता कि बढ़िया चल रही है. एक दिन लाला के किसी कस्टमर ने लल्ला को जुए खेलते हुए देखकर चुगली कर दी. तुरंत लाला पहुँच गया ठिकाने पर. शहर बहुत बड़ा नहीं था, आधे घंटे का सब घटनाक्रम रहा होगा, मै भी लल्ला से एक्साम फीस के बाबत बात करने को ठीक उसी टाईम पहुँच गया.

लाला ने पकड के अपने लल्ला को एक ही चपत लगाई थी कि पीछे पीछे ललाईन भी पहुंच गयी और ललाईन को देखकर लल्ला ने सारा इल्जाम मेरे सर डाल दिया , उसने कुछ यूं सारा किस्सा बताया कि ‘सरकारी स्कूल में पंडित ने जुआ सीखा और यहाँ प्राईवेट में सबको सिखा दिया, पंडित इस तरह से अपनी फीस का जुगाड़ करता है, ट्यूशन फीस, पिकनिक फीस वगेरह वगेरह. अभी भी वह स्कूल की ट्यूशन फीस के लिए जुगाड़ करने को बैठा था,उसने मुझसे कहा कि तू मेरे लिए लकी है मेरे लिए तू खेल मेरी एक्साम फीस का जुगाड़ हो जाएगा’ ललाईन को अपने लल्ला की यह बात इतनी अच्छी लगी कि उसने अपने खोंचे में छिपाए पूरे 50 रूपये तुरंत मुझे दिए और कहा कि देख पंडित ये गलत आदतें सीखने की जरूरत नहीं है आज से जब भी इस तरह की फीस की जरुरुत हो सीधा मेरे पास आ जाना ‘

इस तरह लल्ला भी बच गया और मैं बदनाम होते होते भी नाम कमा गया. हालांकि मुझे आज भी जुए का एक खेल नहीं आता लेकिन फिर भी शहर भर में मेरे नाम से 50 जगह सट्टा लगता है. खैर वो बात की बात है.

एक्साम फीस जमा करके मैंने लल्ला से कहा देख तुझे जो करना है कर मगर मेरा नाम ना लगाया कर. लल्ला बोला बेटा पंडित तू मुझसे जुदा होकर जी नहीं पायेगा. तू नहीं होगा तो मैं किसी और के नाम से पैसे ले लूँगा मगर तेरा क्या होगा. लल्ला की बात में वजन था और मैं दोबारा सरकारी स्कूल में पोछा लगाना नहीं चाहता था. मुझे लल्ला की सारी बात माननी पडी.वो कमाल का जादूगर था. एक्साम में टीचर को बातों में लगाकर खुद की और मेरी कापियां अदल बदल देता था, मुझे दो पेपर देने पड़ते थे एक टाईम में .एक उसका दूसरा मेरा. अच्छे से अच्छे क्रूर खूंखार टीचर भी उसको कभी नहीं पकड पाए.उलटा एक बार मैं पकड़ा गया उसकी कापी से नक़ल करते हुए. उसकी कापी मतलब मेरी, पहले मैंने अपनी कापी में लिखा फिर वो कापी उसने खुद ले ली और अपनी कापी मुझे दे दी अब उसकी कापी में लिखते हुए मुझे कुछ देखना था तो मैं अपनी कापी से नक़ल कर रहा था पकड़ा गया. एक्साम से रस्टीकेट मैं हुआ लेकिन फेल हम दोनों हुए.

खैर उस घटना के बाद लाला जी ने मेरी स्कूल की फीस देने से इनकार कर दिया और पिताजी ने प्राईवेट स्कूल से मेरा नाम कटाकर मुझे सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया. इस पूरी घटना से दो फायदे और दो नुक्सान हुए, कुल मिलाकर मामला बेलेंस रहा. नुक्सान ये रहा कि गाहे बगाहे ललाईन से मिल जाने वाले पैसे बंद हो गए और दूसरा नुक्सान ये रहा कि मुझे इंटर की परिक्षा के लिए सरकारी स्कूल में दाखिला लेना पड़ा जहां अब सरकार के डर से टीचर स्कूल तो आने लगे थे मगर सरकार से अपनी यह खुन्नस वह बच्चों को पीट पीट कर निकाला करते थे.

और फायदा सबसे बड़ा ये हुआ कि लल्ला से पिंड छूटा और उससे पिंड छूटने के कारण मेरे पास काफी चीजों के लिए समय होने लगा. पहले मेरा समय जहाँ जुआ और सटोरियों के अड्डे में कटता था उसके साथ बाद में वह समय मैंने अपने घर को देने का फैसला लिया.

लेकिन एक महीने के अंदर मेरे घर में पुलिस ने चार बार छापे मार दिए. मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये आखिर हो क्या रहा है. बाद में पता चला कि एक मटका खेलने वाले के यहाँ मेरे नाम से कोई लड़का जुआ खेलता है. अभी वर्ल्ड कप क्रिकेट था इसलिए उसने मटका, कार्ड , नम्बरी और पता नहीं किन किन सटोरियों के यहाँ मेरे नाम और मेरे एड्रेस से जुआ खेला था इत्तेफाक से इन सबके यहाँ पुलिस ने अलग अलग छापा मारा और सब जगह मेरा नाम कामन मिला. हालांकि मेरे घर की हालत देखकर पुलिस वाला समझ गया कि किसी ने मजाक किया है. मगर मेरी समझ में आ चुका था कि मजाक किसका था.

 

क्रमशः

लाला,ललाईन और लल्ला का पिछ्ला भाग यहाँ है

लाला,ललाईन और लल्ला

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