अभी जियो खरीदने के लिए हमने डाक्यूमेंट तो दिए ही दिए साथ में आठ सौ रूपये तक दे डाले मगर जोहान्सबर्ग में फ्री में बिना डाक्यूमेंट के सिम . गाडी के कागज तीन घंटे में ट्रांसफर . बनारस के विनय कुमार ने जब ये सब देखा तो हतप्रह रह गए . महीनों लगे उन्हें इन सबकी आदत डालने में लेकिन आप इस चिट्ठी को पढ़कर वो सब सीख सकते हो.
भारत के मुकाबले इस देश में बहुत से विरोधाभास देखने को मिलते हैं और इनका मुझे धीरे धीरे पता चलता गया| अब अगर आपको हिंदुस्तान में मोबाइल का सिमकार्ड लेना हो तो आजकल काफी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन यहाँ पर तो ऐसे मिलते हैं जैसे आप दूकान से आलू, प्याज़ ले रहे हों (आलू प्याज़ से याद आया, यहाँ ये दोनों सब्जियां भी बहुत अच्छे से पैक करके पांच या सात किलो के पैकेट में मिलती हैं)| इस देश में आने के बाद मैंने सोचा फोन करने के लिए सिम लेना पड़ेगा और उसके लिए फोटो, एड्रेस प्रूफ और आई डी प्रूफ लगेगा| लेकिन मुझे मेरे सहकर्मी ने यूँ ही एक सिम पकड़ा दिया| मुझे लगा उसने अपने नाम से लिया होगा मेरे लिए, तो उसने बताया कि आपको जितने प्रीपेड सिम चाहिये, मिल जायेंगे| हाँ पोस्टपेड के लिए जरूर आपको कागजात देने पड़ते हैं| ये भी उस देश में जहाँ ऑनलाइन फ्राड बहुत होते हैं और मेल हैक होना तो कॉमन है|
दूसरा आश्चर्य तब हुआ जब अपने पूर्ववर्ती को एयरपोर्ट छोड़ने जाना था| इस देश में जहाँ इतना ज्यादा क्राइम है, वहाँ क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर किसी को पहुंचाने सिक्योरिटी चेक तक जा सकते हैं| एक हिंदुस्तान के हवाई अड्डे हैं जहाँ अगर आपको किसी शहर के लिए भी फ्लाइट पकड़ना हो तो लगता है कि किसी युद्ध स्थल में आ गए हैं|
खैर जब मैंने अपनी कार अपने पूर्ववर्ती से खरीदी तो उसका ट्रांसफर कराना था| अब मुझे लगा कि ये भी कोई बहुत बड़ा काम होगा यहाँ, लेकिन दो तीन घंटे में ही कुछ भुगतान करके गाड़ी मेरे नाम ट्रांसफर हो गयी| वो भी तब, जब गाड़ी बेचने वाला देश छोड़ के जा चुका था| लेकिन उसी दिन मुझे यहाँ पर भ्रष्टाचार से पहली बार साबका पड़ा| गाड़ी ट्रांसफर होने के बाद एक फिटनेस चाहिये होता है जिससे कि ये सिद्ध हो कि आप इस गाड़ी को यहाँ चला सकते हैं| उस टेस्ट में अधिकारियों ने फेल कर दिया, जबकि कार एकदम फिट और नयी थी| तब मेरे वाहन चालक ने बताया कि मैं करवा देता हूँ और कुछ पैसे देकर कार फिट हो गयी|
यहाँ पर पुलिस में दो तरह के अधिकारी होते हैं, श्वेत और अश्वेत| लोगों ने शुरू में ही बता दिया था कि अगर कभी भी रास्ते में पुलिस ने कार रोकी और आपने अपना लाइसेंस या पासपोर्ट नहीं रखा है तो दो रास्ते हैं| अगर पुलिस वाला अश्वेत है तो आप उसे मामूली सी रकम देकर भी छूट सकते हैं, लेकिन अगर पुलिस अफसर श्वेत है तो किसी भी हाल में उसे रिश्वत देने की चेष्टा मत कीजिये, वर्ना वो आपको गिरफ्तार भी कर सकता है|
अगर आप किसी नियम का उल्लंघन करते है तो आपके पते पर टिकेट (यहाँ फाइन को टिकेट कहते हैं, मुझे कुछ महीने लगे समझने में) आ जायेगा| सड़को पर कैमरे लगे हैं जो आपको निर्धारित गति से तेज जाने या लाल बत्ती पर रोबोट (ट्रैफिक सिग्नल) पार करने पर आपके पते पर टिकेट भेज देते हैं| मुझे भी तेज गति से कार चलाने के लिए एक बार टिकेट का भुगतान करना पड़ा है|
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