ये वक्त उत्तराखण्ड के लिए एक ऐसा मौका है जब बुरे हालात को बदला जा सकता है।उत्तराखण्ड में लाखों ऐसे युवा वापस आ रहे हैं जो जो बहुत कम कमाते हैं।
इन में से अधिकांश युवाओं को फलों के बागान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए।
मनरेगा के तहत बागान लगाये जा सकते हैं। मनरेगा में पैसे की कमी भी नहीं है।
उत्तराखण्ड की सभी ग्राम सभाओं का वर्गीकरण कर उस क्षेत्र की जलवायु,मिट्टी आदि की जांच कर वहाँ के लिए उस क्षेत्र के अनुसार फलों की पौध उपल्ब्ध करानी चाहिए।
बरसात आने में केवल एक माह का समय रह गया है तब तक गहन होमवर्क कर इसे 15 जून से शुरू किया जा सकता है। इस एक माह में पेड़ो को लगाने के लिए गड्ढे भी बनाये जा सकते हैं।
हालात सामान्य होने में अभी लगभग छ: माह का समय लगेगा। तब तक ये काम पूरा हो जायेगा। जाड़ो में लगने वाले पौध भी लगाये जा सकते हैं।
इन बगीचों में पौधारोपण का काम पूरा होने के बाद तक बाहर भी कुछ रोजगार शुरू हो जायेंगे।
यह उम्मीद करना तो बहुत मुश्किल है सभी युवा यहीं रूक जायेंगे। लेकिन जो रूकेगें उन्हें या दो तीन साल बाद जो वापस आयेंगे तो उन्हें बगीचे फलो से लकदक मिलेंगे । अगर स्वंय सहायता समूह के माध्यम से प्रत्येक गाँव में बागानों का रखरखाव हो सकेगा तो ये बगीचे जल्दी फल उत्पादन करने लगेंगे। और सभी बागान तैयार हो जायेंगे।
मनरेगा से सभी युवाओं को दो तीन वर्ष तक लगातार रोजगार दिये जाने की गारन्टी हो तो पूरे उत्तराखण्ड के बंजर खेत आबाद हो जायेंगे।
बागवानी के साथ ये युवा खेती किसानों से जुड़े अन्य काम जैसे सब्जी उगाने और पशुपालन आदि भी कर सकते हैं।
यह सुझाव नया नही है लेकिन इस बार सुझाव के साथ श्रम और पैसा दोनों उपलब्ध है। किसी बहुत बड़े पैकेज की जरूरत भी नहीं है।
अब यह कार्य योजना जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी हमारी लोकप्रिय सरकार की है ।
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