ओए न्यूज़

हिमालय बचाने वाला तमाशा

सितंबर 4, 2017 Girish Lohni

इन दिनों उत्तराखंड में हिमालय बचाओ अभियान का तमाशा जोरों पर है. मुख्यमंत्री ने भी देहरादून में सरकारी अफसरों को हिमालय बचाओ की कसम खिलायी है. पूरा प्रारूप देखकर अस्सी के दशक की फिल्मों का वो सीन याद आ गया जिसमें विलेन माँ कसम खा कर मांफी मांगता है और फिर धोके से हीरो की बहन को उठा ले जाता था.

एक सरकार का आम-जन से कितना जुड़ाव हो सकता है सरकार के इस अभियान से आप देख सकते हैं. भादों माह में उत्तराखंड के अनेकों स्थानीय लोकपर्व मनाये जाते हैं. जिसमें सातों-आठों, हिलाजातात्र जैसे कृषि संबंधी लोकपर्व भी शामिल हैं. सरकार इन पर्वों संग अपनी सहभागिता दिखाने के बजाय हिमालय बचाने हेतु सरकारी अफसरो को कसम खिला रही है.

खिलाने खाने के इस पूरे दौर के बीच एक सवाल बार-बार यह आ रहा है कि अब पंचेश्वर का क्या होगा? एक तरफ भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री ने शोले के जय और वीरु की जोड़ी वाले अंदाज में ठाकुर से पंचेश्वर का जिम्मा ले लिया है इधर त्रिवेंद्र सरकार अभी भी प्रभावित रुपी कालिया से कितने आदमी थे जैसे प्रश्न पूछने में व्यस्त है.

यदि सरकार सच में हिमालय बचाने को इतनी चिंतित होती तो सरकार सबसे पहले पंचेश्वर को नकारती. सरकार को कसम खिलाने की या खाने की आवश्यकता नहीं है पहाड़ी जनमानस सीधा होता है आप उसके लोकपर्व में शामिल हो जाते वही काफी था. आपको हिमालय बचाने के लिये पहले हिमालय के लोगों से जुड़ना पड़ेगा.

लोगों से जुड़ने के बाद आप जानेंगे हिमालय को बचाने के लिये आपकी नीतियाँ कितनी खराब हैं, आप जानेंगे कि हिमालय आपको अपने से बचना है, अपनी नीतियों से बचाना है, आप जानेंगे पिछले 17 सालों की सरकार की अंधाधुंध विकास की नीतियां हिमालय के लिये सबसे बड़ा खतरा हैं, आप जानेंगे हिमालय को बचाने के पहले आपको फिर से लोगों को हिमालय में बसाना है और जो बसे हुये हैं हिमालय से पहले उन्हें बचाना है.

गब्बर की तरह शीशे के टुकड़ों पर बसन्ती को नचाना बंद किजिये. बंद कीजिये खाड़िया और शराब के ठेकेदारों के पैसों पर हैलेन को आग के चारों ओर नचाना. बंद कीजिये सरकारी धन्नो संग ये तमाशा. जनता के साथ जुडकर उसके लोक संग मिल जाईये उसके रंगों संग घुल जाइये.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *