सेवा में ,
प्रधानसेवक श्री नरेंद्र मोदी
मैंने एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्म लिया है , आजादी के बाद से इस देश में हर किसी के लिए कानून बना हर किसी ने किसी न किसी तरह तरक्की की । मगर आजादी के इन 68 से अधिक वर्षों में कोई सबसे अधिक शोषित पीड़ित रहा है , सबसे अधिक किसी को दबाया और कुचला गया है तो वो किसान है और ये काम आजादी के बाद आज तक की हर सरकार ने किया है । किसानों को आज तक इस देश की किसी सरकार ने उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं दिया । इस देश में सबसे अधिक आत्महत्या करने वाले डॉक्टर्स , इंजीनियर्स या बाकि किसी प्रोफेशन या वर्ग के लोग नहीं किसान ही है । ये वही किसान है जब लालबहादुरशास्त्री ने कहा देश के स्वाभिमान पर बात आई तो मिट्टी के सीने को चीरकर देश के भंडारों को अन्न से भर दिया था । देश को किसी भी युद्ध में बलिदान कि आवश्यकता पड़ी चाहे चीन के साथ हो या कारगिल अपने बेटों को तिलक लगाकर रणभूमि में भेजा जिनमें से लाखों तिरंगे में लिपटकर आये । पर आज भी सेना में उसी किसान के बेटे की जिम्मेदारी की वजह से दिल्ली सुरक्षित है , जिसका बाप या भाई खेत में काम करता है । मेरे दादाजी हमेशा कहते थे , बेटा पढ़-लिख ले नहीं भूखा मर जायेगा मैं कहता था आठ एकड़ जमीन है भूखा क्यों मरूंगा किसान का बेटा हूं । वो कहते थे किसान आजादी के बाद से आज तक मर ही तो रहा है और क्या कर रहा है । वो बात उस समय समझ नहीं आई पर आज अच्छे से आ रही है । इस देश का अन्न से पेट भरने वाला अन्नदाता तंग आकर प्रधानमंत्री के दरवाजे पर अपना मूत्र पीयें इस से ज्यादा शर्म की बाद हम सब के लिए और हो नहीं सकती है । अपने आपको देश का प्रधानमंत्री बताने वाले , पुरे देश से मन की बात करने वाले खुद को गरीबों का मसीहा कहने वाले साहेब ( आज पहली बार प्रधानमंत्री को साहेब कहा है ) को दिखता नहीं है कि पिछले एक महीने से कभी चूहेखाकर , मानवखोपड़ी लेकर , नंगाहोकर ( नंगा किसान नहीं सरकार भारत के तमाम किसान संगठन और हम हुए है ) प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसान पाकिस्तान से नहीं आये वो इसी देश का हिस्सा है । क्यों उनसे बातचीत और संबंध स्थापित करने का प्रयास नहीं किया गया ? और अब तो हद हो गई किसानों को अपना मूत तक पीना पड़ा और कल को वह अपना मलखाने को मजबूर होंगें । देश का बेशर्म मीडिया और सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजी है । इस देश में किसानों कि हालत बद से बदतर होती जा रही है । देश का पेट भरने वाले किसानों के खुद के बच्चे भूखे हैं । और किसानों का सब्र काम बांध टूटता जा रहा है । एक बात और उत्तर भारत के तमाम किसान संगठनों को सत्ता की चाटुकारिता में व्यस्त हैं चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए की उनके घर आकर न्याय मांगने वाले उनके भाईयों को मूत्र पीना पड़ा है । आज किसान खेत में मर रहा है, और उसका बेटा सीमा पर या तो गोलियां खा रहा है या कश्मीर में पत्थर । इस सरकार को नाम किसानों की चिंता है ना जवानों की और काश मेरे देश का प्रधानमंत्री मेरे देश के इन किसानों की मन की बात सुन ले हम तो आपके मन कि बात तीन साल से सुन रहे हैं । कुछ लोगों का कहना है ये लोग यहां पर किसी एनजीओ के द्वारा प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए बहकाकर लाये गयें है । कुछ भी हो कोई इतना नहीं बहक सकता कि मल- मूत्र खा ले और ऐसा है भी तो सरकार का दायित्व इनकी बात सुनने का है । राजनाथ सिंह को हर राज्य में कश्मीरी युवा सुरक्षित चाहिए । चाहे देश का किसान दिल्ली में गृह मंत्रालय के दरवाजे पर मल मूत्र खाकर प्राण त्यागता रहे । इस घटना ने मानवता के नाते और किसान का बेटा होने के कारण अंदर तक हिलाकर रख दिया है व्यथित हूं ।
आपके पड़ोस राज्य हरियाणा से किसान का बेटा
सोमवीर आर्या