बांगड़ूनामा

होली सुसराड़ की

मार्च 6, 2017 ओये बांगड़ू

हरियाणा की होली का न्यारा ही मज़ा होवे हैं. अर जो दामाद सुसराड़ चाल्या जा फेर तो दूध दही का खाना अर रिश्तेदार(दामाद)पीट के ही जाना. रंग के साथ डंडे का रंग किसा जमे है पढ़ लो एक दामाद की आपबीती. वैसे यो कौन से रिश्तेदार नै लिखा बेरा नहीं पर या कहानी सब की हैं

मैं गया सुसराड़
नया कुर्ता गाड़

दाढ़ी बनवाई बाल रंग्वाए
रेहड़ी पर ते संतरे तुलवाए

हाथ मैं दो किलो फ्रूट
मैं हो रया सुटम सूट

फागन का महिना था
आ रया पसीना था

पोहंच गया गाम मैं
मीठे मीठे घाम मैं

सुसराड़ का टोरा था
मैं अकड में होरा था

साले मिलगे घर के बाहर
बोले आ रिश्तेदार आ रिश्तेदार

बस मेरी खातिरदारी शुरू होगी
रात ने खा पीके सोया तडके मेरी बारी शुरू होगी

सोटे ले ले शाहले आगी
मेरे ते मिठाईया के पैसे मांगन लागी

दो दो चार चार सबने लगाये
पैसे भी दिए और सोटे भी खाए

साली भी मेरी मुंह ने फेर गी
गाढ़ा रंग घोल के सर पे गेर गी

सारा टोरा होगया था ढिल्ला ढिल्ला
गात होगया लिल्ला लिल्ला गिल्ला गिल्ला

रहा सहा टोरा साला ने मिटा दिया
भर के कोली नाली में लिटा दिया

साँझ ताहि देहि काली आँख लाल होगी
बन्दर बरगी मेरी चाल होगी

बटेऊ हाडे तो नु हे सोटे खावेगा
बता फेर होली पे हाडे आवेगा

मैं हाथ जोड़ बोल्या या गलती फेर
नहीं दोहराऊंगा

होली तो के मैं थारे दिवाली ने
भी नहीं आउंगा

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