समाज में आजकल हवस, वासना चरम सीमा पर है, चूँकि बिहारी खून मे तनी सा मर्दानंंगी ज्यादा होता है (सर्वे ऑफ थेथरलिज्म ) के अनुसार, तभी कोई दुष्कर्म की खबर आए या कही छेड़खानी हो तो पक्का बिहारी होगा का तमगा लोग अपने आप ही चिपका देते हैं.
‘बिहारी ही होगा बलात्कारी’ वाली लाईन तो ‘नाईस पिक डियर’ से ज्यादा इस्तेमाल की जाती है फिर पता चलता है कि कोई और राज्य का था वो मासूम सा डिसेंट कूल ड्यूड, जिसने किसी की इज्जत को तार-तार कर उसकी जिंदगी नर्क कर दी है . तो ‘सॉरी बोलते हुए’ कहा जाता है यार ये काम तो बिहारी करते है इसमे बिहारियों को स्वर्ण पदक डिग्री प्राप्त है ‘लंदन सेक्स युनिवर्सिटी’ से ( हिटलर के नियम से ) अब ये लोग भी करने लगे बताओ कितना गंद फैला दिये है ?
बिहारियों से ये कर्म सीख लिये शहरी लोग पर जो वो सिर्फ 110 रूपये पर दिन भर धूप में मजदूरी करता है, वो नही सीख पाए. केवल 3500 सौ रुपए के लिए 30 दिन 12 घंटा अपना खून पसीना एक करता है वो नहीं सीख सकते है , ये माडर्न हाई फाई लोग, बड़ा दुख होता है ऐसे कर्मयोगी बुद्धजीवी लोगों को देखकर. तरस भी आता है पर दिल के ऊपर पौने पैत्तीस किलो का पत्थर रख लेते है.
बिहारी लोगों की छवि ऐसी बनाई जा रही है समाज में कि आने वाले समय में बिहारी से बचने वाला बिहारी रक्षक लोशन , ऐन्टी बिहारी क्रीम और मॉस्क सेफ्टी मिलेगा जिसे लगा कर लोग बिहारीयों से बच सकेंगे और हर राज्य से भगा दिये जायेंगे भूखे नंगे मरने तो हईये है .
बाकि कहीं दूसरों के द्वारा जो बलात्कार सेक्चुअल हरेसमेंट होता है, तो तब इतना हाय! तौबा नही मचाई जाती है न उनको घर से बेघर किया जाता है न ही उनके पेट पर लात मारी जाती है क्योंकी उनका एक लेवल है वो हर स्तर पर बिहारी लोग से सही है उनके दुष्कर्म में भी एक क्लास होता है वो यौन उत्पीड़न भी करे तो क्या नॉर्मल है ?
ख़ैर बिहार तो हईये है बिहार ….
(राइटर – राजीव मास कम्युनिकेशन छात्र )