यंगिस्तान

कहानी इडली की

सितंबर 1, 2023 कमल पंत

इडली का नाम सुनते ही दक्षिण भारतीय व्यंजन की तस्वीर उभरती है जो गोल है स्टीम्ड है और चटनी साम्भर के साथ खाई जाती है। लेकिन यह इडली आई कहाँ से।

इसको लेकर दक्षिण भारत में ही कई कहानियां प्रचलित हैं। तो पहली प्रचलित कहानी पर जाते हैं , दक्षिण में शिवकोतियाचार्य नाम की किताब में इसका वर्णन मिला है, कन्नड़ में लिखी इस किताब में इद्दले(iddalage) का जिक्र है जिसे पत्थर पर बनाया जाता था। चावल को पीसकर गोलाकार देकर उसे गर्म पत्थर में तैयार किया जाता था.

लेकिन यह तो इडली नहीं हुई।

फिर अरब व्यापारियों में इसका जिक्र है कि हलाल खाने को प्रतिबद्ध यह व्यापारी भारत में व्यापार के लिए आते थे और अपने संग चावल के गोलाकार लड्डू लाते थे, जिन्हें यह नारियल पीसकर बनाई गई चटनी के संग बड़े चाव से खाते थे। लेकिन इसके बनने की प्रोसेस का जिक्र नहीं है इसलिए यह कहानी भी थोड़ी ऐसी ही लगती है।
फिर एक कहानी आती है इंडोनेशिया की, उस समय इंडोनेशिया संग हमारे अच्छे व्यापारिक सम्बंध थे। वहां के व्यापारी अपने साथ भाप में पकी चावल की गोलाकार चीज लाते थे। दक्षिण में लोगों ने जब व्यापारियों संग बातचीत की तो उन्हें भाप में पकाने की विधि का ज्ञान हुआ।


इन इंडोनेशियन व्यापारियों से लाभ कमाने हेतु कुछ लोकल व्यापारियों ने उनकी भाप की विधि में अपना इडडली पकाया और बेचना शुरू किया। धीरे धीरे यह खाद्य समस्त दक्षिण भारत में फैलता चला गया और आज के समय में मुख्य आहार में शामिल हो चुका है।।
एक कहानी यह भी है कि सबसे पहले इंडोनेशिया की कोई राजकुमारी ने भारत मे इडली पकाई। दक्षिण भारत में ब्याही गई इस राजकुमारी को यहां के खाने में कुछ भी पसन्द न आया तो उसने रसोईघर जाकर खुद ही भाप से अपने लिए इडली बनाना शुरू कर दिया। मौजूद रसोइयों को यह भाप वाली विधि बेहद उम्दा लगी और वह इसे अपने अपने घरों में इस्तेमाल करने लगे। धीरे धीरे यह समस्त दक्षिण भारत में फैल गई।
जो भी कहानी सच हो मगर इडली आज का सच है। उत्तर भारत में भी उतनी ही पसन्द की जाती है जितनी दक्षिण भारत में।

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