आपको याद है रेट्रो सिनेमा , जिसमे हीरोइन चोरनी और हीरो पुलिसवाला , बस वैसा ही कुछ हो रहा है आजकल ,पुलिस है चोरनी है बस इश्क नहीं हो रहा . अभी सीआईएसएफ ने बताया 91% चोरनियाँ हैं, लेकिन शाहरुख से इश्क सीखे लौंडे ना वो अमिताभ देवानंद या विनोद कुमार वाला इश्क नहीं समझते जिसमे चोरनियों से इश्क करके उन्हें सुधारा जाता था .हेमा मालिनी से लेकर जीनत अमान तक सभी तो चोरनियाँ रही हैं
अभी सीआईएसऍफ़ ने एक आंकडा प्रस्तुत किया है कि मेट्रो में पाकेट मार जो पकडे गए हैं उनमे लगभग 91 % महिलायें हैं. मने गजब ही हो गया देखो. अब तक चोर चोर चिल्लाते थे अब चोरनी चोरनी चिल्लायेंगे.
हमारे एक मियाँ भाई हैं, दिलफेक आशिक मिजाज, उन्हें इत्ते ज्यादा बार इश्क हो गया है कि मतलब अब गिनती करना भी छोड़ चुके हैं हम, अक्सर वह मेट्रो में सफर के दौरान कहा करते थे कि
‘ये जो हर डब्बे में आँखों में सूरमा लगाए चढा करती हैं ,
ये हर किसी का कुछ ना कुछ चुरा कर उतरती हैं ‘
आज उनका शेर मुझे बिलकुल जायज जान पड़ता है, क्या सटीक विश्लेषण किया था . वैसे मै भी इन्तजार में रहता हूँ कि कभी तो कोइ पाकेटमारनी टकराएगी , आपको शहंशाह फिल्म याद है ..अरे वही जिसमे अमिताभ दादा जी कहते हैं ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं नाम है शंहशाह’ हां उसमे जो चोरनी थी ना , गंगाजमुना सरस्वती वाली वो मासूम जो शहंशाह में ग्लेमरस पाकेटमार बनी थी . , हाँ मीनाक्षी शेसाद्री, बस उसी पाकेटमारनी की तलाश मुझे भी है, कसम से सीआईएसऍफ़ ने बहुत कमाल की न्यूज सुनाई है, आज से मै रोज मेट्रो के 15 चक्कर लगाऊंगा ,कहीं तो टकराएगी मुझसे मेरी पाकेटमारनी ‘मीनाक्षी ‘