बांगड़ूनामा

रमका की कहानी

अगस्त 12, 2022 कमल पंत

कांधे पर दोनल्ली राइफल टँगी रहती थी और मूंछों पर ताव देते हुए अक्सर शहर में दोनल्ली का लाइसेंस रिन्यू करने आ जाते थे वह। फौजी रिटायर थे इसलिए बंदूक मिलने में दिक्कत नहीं हुई। मगर बंदूक का क्या करते होंगे यह नहीं पता। कुछ लोग उन्हें चिड़ीमार भी कहते थे।

रमन नाम था उनका, मगर जग प्रचलित नाम रमका, आस पास ही किसी गांव में उनका निवास स्थान था, बंदूक रखना शायद तब फौजी होने की निशानी माना जाता होगा इसलिए बंदूक उनके पास हमेशा रहती थी, मेरे मन में उनकी जो छवि छपी हुई है उसमें सर में टोपी और कंधे पर बंदूक है। जब भी शहर आते हमारे लिये दो बड़ी दारू की कांच वाली बोतलों में मट्ठा भरकर लाते और एक रात के लिए बंदूक को हमारे यहां रखकर पता नहीं कहाँ चले जाते, हमें बंदूक के आस पास भी न फटकने की सख्त हिदायत मिलती, मगर हम चोरी छिपे बंदूक पकड़ कर फिल्मी सीन कॉपी कर ही लेते यूपी पुलिस की तरह मुंह से ढिचक्यूंन की आवाज निकाल कर बंदूक चलाने की आत्मसंतुष्टि प्राप्त कर लेते।
बंदूक का हमारे घर में बस एक रात का प्रवास होता, अगली सुबह वह उन्हीं के कंधे पर सवार होकर चली जाती।

रमका बंदूक के साथ घूमने वालों में मेरे देखे आखिरी इंसान थे, वर्दी वाले सिपाही तो काफी घूमते रहते हैं बंदूक के संग, मगर उनके जैसी छर्रे वाली बंदूक लिए सिविल ड्रेस में घूमने वाले उनके बाद कोई नजर न आये।

उनको बंदूक चलाते किसी ने न देखा था, उनके गांव में प्रचलित था कि रमका किसी के सामने अपने हुनर का प्रदर्शन नहीं करते, बस आपको एक आवाज सुनाई देगी और कोई उड़ता पंछी जमीन में गिरा मिलेगा। फॉरेस्ट वाले कई बार चक्कर मार गए लेकिन रमका को किसी ने गोली चलाते देखा ही नहीं तो काहे की कार्रवाई।

गांव में जंगली सुअर तक उन्होंने इससे मार गिराया, कभी कभी जब मूड में हो तो किस्सा सुनाते थे कि सुअर के कभी सामने मत पड़ना, सुअर के सामने शेर भी आ जाये तो वह उसे भी गिरा देगा और मरने तक न छोड़ेगा, इसलिए उसे मारो तो किनारे से मारो, साइड से हमला करो।

वह सिखाते थे जंगली शिकार करना, मगर किसी को अपने साथ ले नही जाते थे, किसी ने भी उन्हें बंदूक चलाते हुए नहीं देखा था, कई युवा लोग तो यहां तक कहते थे कि बूढ़े की बंदूक नकली है। मगर जंगल से जब जब धाँय धाँय की आवाजें आती थी तब उन युवाओं का मुंह बंद हो जाता था।

रमका एक्स फौजी थे, कैंटीन का कार्ड बना हुआ था और सीएसडी लिखा माल उन्हें भरपूर मिल जाता था, मतलब बाजार रेट से कम दामों में और ऐसे ही दारू भी मिल जाती थी।

वह महीने में जिस दिन बाजार आते, जमकर शॉपिंग करते, आर्मी कैंटीन से, फिर सारा सामान एक तय दुकान में रखकर वापस चले जाते।

अगले कुछ दिनों तक जो भी बाजार आता वह उनके सामान को थोड़ा थोड़ा करके उनके घर पहुंचा देता, बदले में उसे मिलता साबुन, अगरबत्ती या ऐसा ही छोटा मोटा सामान। और कोई जवान जवान लड़का आ गया तो वह सारा सामान एक साथ एक दारू की बोतल में उनके घर पहुंचा देता।

एक दफे रमका ने उस जमाने का एक हजार का सामान खरीदा, किसी ने अफवाह उड़ा दी थी कि आगे से आर्मी कैंटीन में लिमिटेड सामान मिलेगा, तो रमका ने एक हजार रुपये का सामान खरीद डाला।

अब वापस रमका की बंदूक पर, तो हुआ यूं कि रमका अपनी बंदूक को गजब प्यार करते थे, इस्तेमाल उसका कुछ खास करते नहीं थे, गोलियां या छर्रे कह लो, महंगे मिलते थे, इसलिए कभी कभार महीने में एक आद बार जंगल में धाँय धाँय कर आते। ऐसी ही एक रात जंगल में धाँय धाँय की आवाज हुई। गांव वालों को लगा रमका पगली गया है, आधी रात में जंगल मेज धाँय धाँय कर रहा है।

सुबह जंगल में लाश बरामद हुई, अब पटवारी भी जानता था, बंदूक सिर्फ रमका के पास, तो रमका को उठा लिया गया, क्योंकि जंगल में जाकर बंदूक चलाने का शौकीन वही था। मामला एकदम चर्चा में आ गया कि रमका ने आदमी मार दिया।

अब आदमी कौन ये किसी को नहीं पता, लेकिन मारा रमका ने ये सब कह रहे, पटवारी के हाथ से मामला निकलकर पुलिस के हाथ चला गया। रमका परेशान, क्योंकि उसकी बंदूक से तो गोली चली ही नहीं, वह कहता कहता थक गया कि उसने आदमी नहीं मारा, मगर कोई सुनने को राजी नहीं, हाईटेक टेक्नोलॉजी थी नही, और पुलिस वाले इतनी इंक्वायरी करते नहीं थे कि गोली कहाँ से निकली किस बंदूक से निकली वगेरह वगेरह।

किस्मत से रमका के ससुराल वाला एक हवलदार मिल गया, रमका को उसने बताया कि तेरी बंदूक छर्रे वाली है और उधर डॉक्टर को असली बड़ी वाली गोली मिली है, तू बच सकता है पैसों का इंतजाम कर। अब रमका कौनसा धन्ना सेठ जो पैसे ढूंढे। पुलिस वाले मामला निपटाने की जल्दी में थे, उन्होंने अपना पेपर वर्क शुरू कर दिया। डॉक्टर की रिपोर्ट और गोली दोनों छिपा दी।

रमका ने कैंटीन से खरीदा एक हजार रुपये का माल उस हवलदार के घर भिजवाया और मदद करने की गुहार लगाई। हवलदार ने वह गोली और डॉक्टर की रिपोर्ट का इंतजाम किया। कोर्ट में वकील के जरिये यह बात रखवाई।
मजिस्ट्रेट साहब ने पुलिस को हड़काया और रमका को बंदूक समेत रिहा कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *