(यह पूरी स्टोरी आँखों देखा सच है )
स्कूलों से छोटा बच्चा मानवता का पाठ सीखता है। ऐसा कहा जाता है। स्कूल हमारे पहले गुरु हैं जो समाज से रूबरू करवाते हैं जो यह सिखाते हैं कि इंसान क्या है और इंसानियत क्या है। इंदिरापुरम में यह स्कूल है (नाम नहीं लूँगा जाने दो ), छोटे छोटे बच्चे यहां आते हैं। जाहिर है स्कूल मानवता का पाठ पढ़ाने का दावा भी ठोंकता होगा। बच्चों को संस्कारी बनाने की बात भी कहता होगा।
लेकिन क्या स्कूल के दावे सही हैं? देखने पर तो बिल्कुल नहीं लगता। अब असल में स्कूल क्या कर रहा है, उसके बाहर बाउंड्री वाल है, जैसा कि आप देख सकते हैं, 10 फुट से ऊंची। दोनों तरफ गेट है जिसमें गार्ड रहता है। बाउंड्री वाल यानि की इस स्कूल की बाहरी दीवार स्कूल की प्रापर्टी की एकदम आखिरी में है।
इस दीवार से खड़े होकर लोग गर्म दोपहरी में सुस्ता लेते थे। खासकर रेहड़ी पटरी वाले और यहां से गुजरने वाले लोग। तेज गर्म दोपहरी में राहगीरों को अगर रुकना पड़ जाए तो इधर पीठ टिकाकर छाया ले सकते थे। मगर स्कूल को यह कतई बर्दाश्त नहीं कि उसकी दीवार से खड़े होकर कोई खड़ा रहे, इसलिए गार्ड को निर्देश दिए कि यहां पर किसी को खड़े न होने दें। बहाना था बच्चों की सेफ़्टी का, हालांकि बच्चों के माँ बाप उन्हें स्कूल तक छोड़ने आते हैं इस स्कूल गेट के अंदर तक छोड़कर जाते हैं। मगर ठीक है स्कूल प्रशासन को डर था इसलिए सुबह से दोपहर तक बच्चों की सेफ़्टी। लेकिन दोपहर बाद तो खड़े हो सकते थे। लेकिन कोई खड़ा न हो इसलिए गार्डों को सख्त निर्देश। यह बच्चों को सिखायेंगे मानवता का पाठ।
अब गर्म दोपहरी में पेड़ की छांव तो हर कोई ढूंढता है, गार्ड की कोई क्यों सुनें, वह स्कूल की प्रॉपर्टी में तो खड़े नहीं हो रहे, तो लोगों ने खड़े होना नहीं छोड़ा, जैसे बारिश है, धूप है, यहां पर खड़े हो जाते हैं, सुस्ता लेते हैं।
प्रशासन का गुस्सा एकदम तगड़ा स्कूल के बाहर उस हिस्से में गमले रखवा दिए, अपने को प्रकृति प्रेमी दिखाने के लिए। फिर भी लोग खड़े हो रहे थे। गमलों के बगल में जगह देखकर, गर्म दोपहरी में थोड़ी सी छांव। सबको चाहिए होती है।
लेकिन स्कूल कैसे किसी को इधर छाँव लेने देता, स्कूल ने बड़ी बड़ी जालियां लगवा दी, गमलों की रक्षा के नाम पर।
गजब मानवता का पाठ सिखा रहा है। अब देख लो, उनकी प्रॉपर्टी भी नहीं है ये। अपनी प्रॉपर्टी में तो 10 फूटा दीवार डाल रखी है, मगर प्रॉपर्टी के बाहर भी कोई खड़ा हो जाये यह गंवारा नहीं।
बच्चों की सेफ्टी वाला एंगल भी बिल्कुल नहीं है, क्योंकि स्कूल के दोनों तरफ दो दो गार्ड रहते हैं, और 10 फुट की दीवार सबके सामने कोई नांग जाए इतना आसान तो नहीं।