जैसे भारत में दिवाली चहल पहल का त्योहार है वहीं पश्चिमी देशों में क्रिसमस , जोहान्सबर्ग उन शहरों में है जहाँ गधे की तरह काम नहीं करवाया जाता बल्कि छुट्टियों पर ज्यादा जोर रहता है ताकि काम करने वालों की सेहत पर विपरीत असर ना पढ़े . यहाँ माना जाता है कि छुट्टियां ज्यादा हो काम कम. बनारस के विनय कुमार को जब यह पता चला तो उन्हें एक अलग तरह का अनुभव हुआ और उन्होंने चिट्ठी में फटाक से लिख डाला ये अनोखा अनुभव .
हमारी क्वार्टर सेंचुरी है ये चिट्ठी . क्वार्टर सेंचुरी में लेखक की तस्वीर आपके सामने है.हमें बड़ी खुशी है कि जोहान्सबर्ग से चिट्ठियों का सिलसिला लगातार जारी है. जल्द ही इण्डिया से जोहान्सबर्ग भी चिट्ठियां जायेंगी . इसी पते पर (बांगडूओं के पते पर )
अगर किसी हिंदुस्तानी को कहा जाये कि आप को नौकरी में हर हफ्ते दो छुट्टियां मिलेंगी और त्यौहारों पर अलग से छुट्टी मिलेगी, तो शायद ख़ुशी के मारे उसका दम ही निकल जाए| हफ्ते क्या महीने में भी त्यौहारों के अलावा अगर दो छुट्टी मिल जाए कर्मचारियों को (खासकर बैंक वालों को) तो वह काफी प्रसन्न हो जायेंगे| लेकिन अगर उनको ये कह दिया जाए कि साल के 11 महीने हर हफ्ते दो छुट्टियां, त्यौहारों पर अलग से छुट्टी, कोई त्यौहार अगर शनिवार को पड़ गया तो उसके लिए सोमवार को भी अलग से छुट्टी तो मिलेगी ही, साथ ही साथ साल में पूरे एक महीने की छुट्टी अलग से मिलेगी तो शायद आदमी पागल ही हो जायेगा|
अब यहाँ आने से पहले तो हम लोग महीने में अगर दो दिन भी छुट्टी मिल जाती थी तो खुश हो लेते थे, लेकिन जब इस देश में आये तो पता चला कि यहाँ काम कम और छुट्टियां ज्यादा हैं| हर हफ्ते दो छुट्टियां, त्यौहारों पर अलग से छुट्टी और फिर जब दिसम्बर आया तो पता चला कि यहाँ दिसम्बर महीने में कोई काम ही नहीं होता| वजह ये कि यहाँ हर कंपनी में लगभग एक महीने की छुट्टी रहती है जो दिसम्बर के दूसरे हफ्ते से लेकर जनवरी के पहले हफ्ते तक चलती है| उसके बाद भी लोगों को आने में कुछ और दिन लग ही जाते हैं| सबसे मजे की बात ये है कि नवम्बर एन्ड से ही लोग अगले महीने की छुट्टी की तैयारी में लग जाते हैं और फिर काम भी सुस्त पड़ जाता है|
इस देश में सबसे बड़ा त्यौहार क्रिसमस का होता है और लोग पूरे साल इसके लिए दिन गिनते रहते हैं| क्रिसमस की खरीददारी ब्लैक फ्राइडे से ही शुरू हो जाती है जो नवम्बर के आखिरी हफ्ते में पड़ता है|जैसे हिंदुस्तान में दिवाली पर बोनस या बख्शीश दिया जाता है, वैसे ही यहाँ पर दिसम्बर में कर्मचारियों को बोनस मिलता है और काम करने वालों को बख्शीश इस महीने में देना जरुरी होता है| लगभग हर कंपनी में क्रिसमस पार्टी होती है और लोग उसके बाद छुट्टियों की तैयारी में लग जाते हैं| हर शॉपिंग मॉल के बाहर और अंदर बड़े बड़े क्रिसमस ट्री दिखते हैं और बच्चों को उपहार देते हुए जगह जगह संता भी नजर आते हैं|
एक और चीज यहाँ अजीब है, आप कल्पना कीजिये हिंदुस्तान में किसी भी त्यौहार में (होली को छोड़कर) बाज़ारों की क्या हालात रहती है| दुकानें और रेस्टुरेंट इत्यादि देर रात तक खुले रहते हैं और सड़कों पर खूब चहल पहल रहती है| अब चूँकि यहाँ दशहरा या दीवाली तो पब्लिकली मनाई नहीं जाती है (हिंदुस्तानी लोग ही आपस में मना लेते हैं), तो बाजार में कोई भीड़ भाड़ दिखने की उम्मीद भी नहीं थी| लेकिन क्रिसमस के अवसर पर मुझे लगा कि बाजार में खूब भीड़ भाड़ होगी और रेस्टुरेंट भी देर तक खुले रहेंगे| अब क्रिसमस वाले दिन हम लोग शाम को मॉल में गए कि कुछ खरीदी भी कर लेंगे और रात को खाना भी खाकर आएंगे, लेकिन माल पहुंचे तो पता चला कि अधिकांश दुकानें बंद हैं और रेस्टुरेंट भी बंद है| लोग भी छुट्टी या सामान्य दिन के लिहाज से भी बहुत कम नज़र आ रहे थे| उस समय पता चला कि यहाँ पर त्यौहार में दुकानें देर तक खुलना तो दूर, अधिकतर बंद ही रहती हैं (फिर घर आकर ही खाना, खाना पड़ा)|
जोहानसबर्ग शहर दिसम्बर में लगभग बंद सा रहता है, सड़कों पर एक चौथाई गाड़ियां ही नजर आती हैं और अधिकतर लोग छुट्टियां मनाने या तो केप टाउन, या डरबन निकल जाते हैं| इस महीने की छुट्टी मनाने के लिए काफी पहले से ही बुकिंग्स कर ली जाती हैं| दिसम्बर के महीने में इस शहर में अपराध काफी बढ़ जाते हैं क्योंकि सबको क्रिसमस मनाना होता है और उसके लिए पैसे चाहिए| और इस महीने में घरों में चोरियां भी खूब होती हैं, क्योंकि सारे लोग तो बाहर गए होते हैं|
पुरानी चिट्ठियों से जोहान्सबर्ग को जानने के लिए नीचे दिए पते पर अंगूठा लगाए .
Very nyc vinay ji…