यंगिस्तान

ई बनारसी इश्क है

जनवरी 23, 2017 ओये बांगड़ू

फैज बाबा ने एक इश्क को कैसे नाकाम किया जानिये इस बनारसी स्टोरी में ,बनारसी स्टाईल ,बनारसी प्यार

बनारस के अक्खड़ बनारसी मंगरू को चमेली से प्यार हो गया । कासी की पूरी कचौड़ी खा के कोल्हू बने मंगरू को परी जैसी चमेली ने पसंद भी कर लिया फिर। क्या दोनों कभी घाट, कभी महामना की बगिया तो कभी भगवान् बुद्ध की उपदेश स्थली पर विचरते नज़र आने लगे । एक दिन मेरे बांगडू कैमरे ने इनकी बातें रिकार्ड कर ली । फिर क्या तब से मंगरू हमारी जान के पीछे पड़ गया है । आइये हम भी सुनते है वो बातें । जो कभी पर्सनल तो कभी प्यार और तकरार में गोता खा रही है ।

मंगरू हां हो चमेली बोला का करत हौआ , कल बड़का बाऊ कहत रहलन की चमेली के ब्याह करा दा अब चमेली अब जुवान हो गइल बा । हे चमेली अइसन काहे कहत हाउ का तोरे बाऊ सठिया गइल हौ अवन्न । अच्छा जाए दा ई बताओ मंगरू हमें कब सिनेमा दिखईबा । एकदम से बकलोल है का रे सिनेमा का करबी देख के चलब लिया के तोहे घाट पर गंगा पार रेती पर वही तानी भर प्रेम की बात होइ समझलू की नाही।

जाए दा हम ना जॉब हमें सीनेमा देखे के बा । कुछ देर में दोनों सिनेमा हाल के बाहर पुचका पानी खाते नज़र आते है । ए भैया तनिक खट्टा वाला पुचका खिलाइये न हमको और हमारी इनको , का हो मंगरू कहां से ली अईला ई कड़क आइटम हो एकदम बम्फिलाट लगत हव । चुप कर रे विदेसिया इ तोहार भाभी हैओ । इधर चमेली एकदम से आग बबूला ए मंगरू चला अब इहाँ से हम न खाएब इ गोलगप्पा अब । न मिले आईबे तोहसे जा । इसके बार चमेली रॉकेट की स्पीड से वहां से फरार हो ली ।

का यार विदेसी भड़का देला गुरु न अब ससुर महंगा वाला गिफ्ट देकर मनाये के पड़ी और कही दुसरे से पट गईल न तो फिर तो तोहार कपार भी ई गोलगप्पा की तरह फोर देब ।।

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