Oye Bangdu

जोहान्सबर्ग से चिट्ठी -26

इस देश में अंतिम संस्कार के लिए भी इंश्योरेंस पॉलिसी मौजूद है, क्योंकि यहाँ डेथ होने पर लोगों को इकट्ठा करना संभव नहीं है. इसलिए इंश्योरेंस वाले अंतिम क्रिया में मदद कर देते हैं, यहाँ पार्लर भी होता है मुर्दों के लिए. बनारस के विनय कुमार ने जब देखा तो भौचक रह गए. एक तरफ बनारस के घाट जहाँ लावारिस मुर्दों का क्रियाक्रम भी आसानी से हो जाता है दूसरी तरफ ये देश जहाँ वारिस मुर्दों के क्रियाक्रम भी दिक्कत आ जाए. पढ़िए उनके अनुभव

हिंदुस्तान में तो हम लोगों ने कई तरह की इन्सुरेन्स पालिसी के बारे में सुना था और कई तरह के पार्लर भी देखे, सुने थे| लेकिन इस देश में आने के बाद एक ऐसे पार्लर के बारे में पता चला कि अपने तो होश ही उड़ गए| सबसे पहले तो यहाँ आकर ये पता चला कि आपको मेडिकल इंश्योरेंस रखना ही है| आप किसी भी क्लिनिक में चले जाओ या कहीं पर भी हस्पताल में जाईये, सबसे पहले आपसे यही पूछा जायेगा कि किस कंपनी का मेडिकल इंश्योरेंस है आपके पास| अगर आपके पास नहीं है तो फिर आपको पहले पैसा जमा करना होगा, तभी वो आपको भर्ती करेंगे|

दूसरा खटका तब लगा जब देखा कि इंश्योरेंस कंपनी वाले एक और पालिसी भी बेचते हैं यहाँ पर जिसको “फ्यूनरल पालिसी” कहते हैं| मतलब आपके क्रिया कर्म के लिए ये पालिसी होती है| अब हिंदुस्तान जैसा माहौल तो है नहीं यहाँ कि घंटे भर में सैकड़ो लोग इकठ्ठा हो जाते हैं किसी के मरने  में| यहाँ तो एकल परिवार और बचत लोग करते नहीं तो अंतिम संस्कार का खर्च कहाँ से आये, इसके लिए ये पालिसी भी खूब चलती है यहाँ पर (हमको भी हर हफ्ते एक मैसेज आ जाता है इस पालिसी का)|

दूसरा यह कि आप को अगर कहा जाए कि आप पार्लर जाना पसंद करेंगे तो आपका जवाब अमूमन हाँ ही होगा| क्योंकि आप तो यही सोचेंगे कि पार्लर मतलब खूबसूरत बनने की जगह| लेकिन अगर आपको बताया जाये कि आपको फ्यूनरल पार्लर जाना है तो आपकी हालात क्या होगी| दरअसल यहाँ पर फ्यूनरल पार्लर भी खूब हैं जहाँ मृत व्यक्ति को रखा भी जाता है और वहां पर अंतिम संस्कार से सम्बंधित सारी सामग्री, जैसे कफ़न, गाड़ियां, दफ़नाने के उपकरण इत्यादि भी मिलते हैं|

एक और अजीब बात है यहाँ पर, खासकर निम्न आय वर्ग के लोगों में, कि मृत्यु के बाद मृत शरीर को कई दिनों तक (कई बार तो महीनों तक) रखा जाता है| इसकी दो वजहें हैं, एक तो ये कि सारे रिश्तेदार इकट्ठे हो जाते हैं और दूसरी वजह आर्थिक है| अगर मृत व्यक्ति की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो उसके परिजन घूम घूम कर लोगों से पैसे इकठ्ठा करता है और जब जरुरत भर के पैसे इकठ्ठा हो जाते हैं, तब अंतिम संस्कार किया जाता है|

खैर इस देश में जीवन के साथ साथ अंतिम संस्कार का भी अलग ही हिसाब है|

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