Oye Bangdu

जोहान्सबर्ग से चिट्ठी -23

फिल्म ‘ओ माई गॉड’ में जब परेश रावल ने बताया कि हमारे बालों का विदेशों में धंधा होता है तो मुझे लगा मजाक कर रहे होंगे, या खाली पीली लिख दिया होगा स्क्रिप्ट राईटर ने. आज बनारस के विनय कुमार की इस चिट्ठी को पढ़कर लगा कि सच में एसा होता होगा. जिस देश के लोगों के सर में बालों की कमी है वहां यह धंधा खूब फलता फूलता होगा.

हमारे हिंदुस्तान में बालों को लेकर कई गाने बने हैं “ये रेशमी जुल्फें”, या “न झटको जुल्फ से पानी” आदि| पता नहीं कितनी कवितायेँ भी लिखी गयी हैं प्रेयसी के बालों के बारे में कल्पना करते हुए | कितने ही तरह के तेल, साबुन औऱ शैम्पू भी सिर्फ घने काले लंबे बालों के लिए मिलते हैं अपने देश में | अगर किसी के बाल झड़ने लगे तो वह न जाने कौन कौन से उपाय करता है, जैसे अंडे लगाना, रेड़ी का तेल लगाना आदि आदि | साथ ही साथ एक औऱ चीज प्रचलित है अपने देश में कि पैसा उन्ही के पास होता है जिनके सर पर बाल कम होते हैं, मतलब गंजापन औऱ अमीरी साथ साथ आती है (अब हमारे सर से बाल आजतक कम नहीं हुए औऱ इसीलिए जेब खाली ही रहती है)|

लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई ऐसा देश भी है जहाँ के अश्वेत निवासियों के सर पर अमूमन या तो बाल होते ही नहीं हैं, औऱ अगर होते भी हैं तो बेहद कम औऱ छोटे घुंघराले बाल | वैसे क्रिकेट में दिलचस्पी होने के चलते अक्सर वेस्टइंडीज के खिलाडियों के सर के विचित्र तरह के बालों को देखकर बहुत उत्सुकता होती थी कि इतने अजब गजब बाल क्यों होते हैं इनके | लेकिन जब यहाँ पर आया तो इस रहस्य का खुलासा हुआ औऱ मैं एकदम से आश्चर्यचकित रह गया|

दरअसल शुरू शुरू में बहुत से स्थानीय अश्वेत लोगों से मुलाकात हुई तो पुरुष तो अक्सर टकले ही मिलते थे| लेकिन स्त्रियों के बाल अजीब तरीके के थे, हर स्त्री का अलग हेयरस्टाइल | धीरे धीरे पता चला कि यहाँ की सारी स्त्रियां नकली बाल (विग) लगाती हैं, उनके सर पर बाल तो होते ही नहीं | कभी कभी तो यहाँ औरतें भी एकदम सफाचट सर लिए घूमते नजर आ जाती हैं औऱ उनको देखकर आपको झटका लग सकता है | औऱ सिर्फ इसी देश में नहीं, बल्कि पूरे अफ्रीका में अमूमन लोगों के सर पर बाल नहीं होते हैं |

हमारे एक परिचित ने एक दिलचस्प वाकया सुनाया | यहाँ पर घरों में काम करने के लिए महिलाएं आसानी से मिल जाती है औऱ लोग हफ्ते में एक दिन से लेकर हफ्ते में पांच दिन तक उनसे काम करवाते हैं (शनिवार औऱ रविवार को तो वह भी काम नहीं करती )| उनके यहाँ काम करने वाली सुबह आयी, काम किया औऱ चली गयी| शाम को फिर वह काम करने के लिए आयी औऱ जब उसने घंटी बजायी तो मेरे परिचित चौंक गए किये कौन आ गया | उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया तो फिर से घंटी बजी औऱ उस महिला ने उनसे कहा कि वही उनके यहाँ काम करती है| दरअसल हुआ यह था कि सुबह जब वो आयी थी तो उसके बाल एकदम छोटे थे, लेकिन शाम को उसने बहुत बड़े बालों का विग लगा लिया था जिसके चलते वह उसको पहचान नहीं पाए | 

खैर यहाँ महिलाएं अपनी आमदनी का एक हिस्सा विग पर भी खर्च करती हैं औऱ ये विग या तो उनके सर पर गोंद से चिपका दिए जाते हैं, या सर पर सिल दिए जाते हैं | अब सिलने में दर्द भी तो होता है लेकिन इनके पास कोई औऱ रास्ता भी नहीं होता उसे बर्दास्त करने के सिवा | यहाँ बाल खूब बिकते हैं औऱ सभी सलून अपने यहाँ से कटे हुए बालों को बेच देते हैं | लेकिन इसका सकारात्मक पहलू ये भी मान सकते हैं कि हर महीने आपके बाल अलग अलग स्टाइल के होंगे औऱ अगर आपने सर टकला ही रखा तो आपको उधार देने वाले भी शायद ही आपको पहचान पाएं |

लेकिन एक बात औऱ है यहाँ कि इसी वजह से बहुत से श्वेत पुरुष भी अपना सर टकला ही रखते हैं| पता नहीं अश्वेत लोगों के समर्थन में या एक फैशन सा बन गया है यहाँ टकला रहना| (वैसे मेरे बालों के रंग के चलते मुझे यहाँ पर बहुत तारीफ मिलती है, खासकर महिलाओं से)|

शायद एक नारी के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की औऱ कोई बात नहीं हो सकती कि उसके सर पर बाल नहीं हो , लेकिन प्रकृति ने न जाने क्यों ये सजा दे रखी है यहाँ के अश्वेत निवासियों को|

पुरानी चिट्ठियों को पढने के लिए यहाँ अंगूठा दबाएँ

Exit mobile version