घनघोर निराशा का दौर था जब महाविद्वान जतिंद्र जी मेहनती मनिंद्र को मिले। अद्भुत संजोग था कि यह दो महानिठल्ले पुरुष एक साथ विश्व प्रसिद्ध चाय की टपरी...
काल्पनिक लोक सा लगता है वो दौर जब हमें चिट्ठियों में नमस्कार करना सिखाया जाता था,चिट्ठी लिखते समय कहाँ पर कैसे एक-एक शब्द में भावना डाल..