लेखक परिचय – विनोद पन्त जी कुमाउनी के कवि हुए, लेकिन व्यंग्य और संस्मरण में भी इनका गजब ही हाथ हुआ।
हरिद्वार इनका निवास स्थान है लेकिन दिल खंतोली(बागेश्वर) में बसने वाला हुआ। इसी दिल के चक्कर में पहाड़ की एसी एसी नराई(यादें) ले आते हैं कि पढ़ कर आप भी वहाँ को याद करने लगो।
१- नाक साफ कर बे – सिगांणा पोछ रे
२- सिर दर्द हो रहा है – मुना जैसी लग गयी है
३- बस और मत देना पेट फुल हो गया – अब मत देना हो कटांस जैसा हो गया
४- दूध की थैली लीक कर गयी है – अरे ये दूद की थैली टोटा हो गयी च्वैं रही है .
५- मैं तो कनफ्यूज हो गया – मैं तो कफरी जैसा गया
६- वो दिल्ली जाकर रास्ता भटक गया – वो दिल्ली जाकर भबरी गया
७- लठ मारकर सिर फोड दिया साले ने – जांठे से बरमान फोड दिया कुकुरीच्याले ने
८- एसिडिटी हो गयी – पेट चुकी गया
९- जूते पालिस करवाने हैं – ज्वाते पौलिस करवाने हैं कहा
१०- पेट दर्द कर रहा है – पेट में टूम जैसी उठ रही है .
११- भाभीजी सुन्दर लग रही हैं – क्याप लग री भौजी तो
१२- वह धीरे से आया और झट से चोरी करके चला गया – वह खुसुक्क से आया और च्याट्ट चोरी करके चला गया
१३- रात को मैं अचानक डर गया – झसकी जैसा पडा मैं तो रात को
१४- घनघोर बारिस होने लगी – बारिस का तौडाल पड गया .
१५- बिलकुल पागल है ये लडका – लाटा ठैरा यार ये तो
१६- चोर ने जैसे ही मुझे देखा भाग खडा हुवा – चोर ने जैसे ही मुझे देखा बुत्ती काट ली .
१७- बाग को देखकर रौंगटे खडे हो गये – बाग को देखकर कान् बकुर गये मेरे तो .
१८- बहुत बनती है ये तिवारी जी की की बीबी – छितराट करती है यार ये त्याडि ज्यू की बीबी .
१९- चुगली मत करो रे – सौल कठौल मत करो कहा .
२०- घुप्प अंधेरा हो गया भाई – अन्यारटोप हो गया हो दाज्यू .
२१- बहुत कंजूस है ये खीमदा – भौत्ती कमचूस हुए ये खीमदा .
२२- बहुत घमंड है उसे – बरमान में नांक हुवा इसका .
२३-शैतानी मत करो रे – रकस्योई मत करो रे
२४- मजे ले रहा है कमल दिल्ली में – दै बैगंण होरे कमल के तो दिल्ली में .
२५- सोते ही नींद आ गयी – सोते ही कलटोव आ गयी
२६- चुपके से एक पव्वा पकडा देना – एक पऊ देना जरा खुरुक्कि से .
२७- मार एक कान के नीचे – कनबूजे सेक दे इसके
२८-पकवानो की खुशबू आ रही है – चौंचैनि भुबैनि आ रही है
२९- रोते रोते बुरा हाल हो गया बेचारे का – रोते रोते दस्यूड लग गये बेचारे को
३०- पैसे नही है भाई जी – डबलो के तो जा्ड सूख गये दाज्यू .
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