ओएबांगड़ू तुझको नाही पता, ओलंपिक मे हमने पदक के सूखे को पाटते हुए एकठो पितरिया मैडल जीत लिया है। देश ख़ुशी मे डूबल है और तू हियाँ बकैती में लगा है? अच्छा हाँ याद आया रतिया में शाक्षी ने मेडल जीता है, हम त भूलिये गए थे। अरे एतना बड़का न्यूज़ भूल गया और खुद को युवा पत्रकार कहता है?
न रे बंगडुआ, ई मेडल से हमहू बहुते खुश हैं। लेकिन हम त रतिये से ई सोचत रही कि जनसंख्या के हिसाब से हम विश्व में दोसर सबसे बड़का देश हैं, लेकिन मेडल के हिसाब से एतना छोटका कैसे हो जाते हैं? इसका जिम्मेदार कहीं सरकारी व्यवस्था तो नहीं? आ की एक्के-दू ठो में हम एतना खुश हो जाते हैं कि ज्यादा के लिए हम मेहनत ही नहीं करते, जरा बताई हमका। ना रे, तू काहे एतना घबरा रहा है? हम होंगे कामयाब एक दिन,………2099 में।