कुकुर भौंक का मतलब पता है ? बड़ा सिम्पल है , कुत्ते की तरह भौंकना विभिन्न न्यूज चैनल में एक एक घंटे कुकुरभौंक कार्यक्रम चलता है जिसका निष्कर्ष कुछ नहीं निकलता. आज एनडीटीवी ने एक कार्यक्रम चलाया ,जिसका कुछ तो मतलब निकला .
ये क्या अगड बगड़ लिख रहा है ?
‘सर आरटीआई है ‘
कैसी आर टी आई ?
‘सर वो पेंशन नहीं आयी ना बापू की एक साल से इसलिए डिपार्टमेंट से सवाल पूछ रहा हूँ ‘
पगला गया है क्या , साले तेरी इस सवाल पूछने की हरकत से बैन लग गया तो ? बंद कर अभी के अभी ये आरटीआई .
‘पर सर ये पेंशन को लेकर है ‘
अबे बंद कर बोला ना , माईबाप कब किस बात पर बुरा मान जाएँ तुझे पता है क्या ?
‘तो सर पेंशन के लिए क्या करूं ? सरकारी बाबू कुछ बता नहीं रहा , धरना देने को बोलूँ बापू को ?’
आईडिया बुरा नहीं है, लेकिन अपने बापू को बोलना पहले एक्टिव विपक्ष से मिलते हुए जाए , और सुसाईड वगेरह का डिसाईड हो तो सभी लेटर , फोन वगेरह हमारे चैनल को देकर जाए ‘
‘सर बापू हैं मेरे , एसा ना बोलो, वो क्यों सुसाईड करेंगे वो भी चंद पैसों के लिए ‘
अबे टीआरपी चाहिए या नहीं , टीआरपी आयेगी तो एड आयेंगे एड आयेंगे तो तेरी सैलरी आयेगी , तेरी सैलरी आयेगी तो तेरा घर चलेगा . और हम एसा माहौल बना देंगे कि सरकारें तेरे बापू को मरणोंप्रांत मालामाल कर देंगी.
‘सर पैसा बापू को वापस नहीं ला पायेगा ‘
अबे पैसे से बापू नहीं आएगा मगर सरकार हिल जायेगी , तेरे बापू के जैसे लाखों बापू की पेंशन टाईम से आयेगी . सोच कितना महान काम कर जायेंगे वह.
सर इससे अच्छा आरटीआई लगा के जवाब मांगता हूँ ना ?’
खबरदार जो तूने सवाल पूछने की हिम्मत की तो, तेरे सवालों के चक्कर में चैनल का बंटाधार हो जायेगा . चैनल को टीआरपी तो नहीं दिला सकता बैन करवाने पर तुला है .
उसके बाद की घटना क्या हुई नहीं पता . लेकिन सुनने में आया कि देश के विभिन्न कोनों में अचानक आरटीआई में कमी आ गयी , क्योंकि इम्प्लोयी ने जबरदस्ती आरटीआई लगा दी , जिससे चैनल को बैन कर दिया गया. मगर बैन होने से पहले चैनल ने एक घंटे के शो में सबको बता दिया कि आखिर क्यों उन्हें बैन किया गया.
इस तरह देश से सवाल पूछने की प्रथा खत्म हुई. वेलकम टू दुर्जनपुर
ये है ndtv का वह लिंक जिसमे कुकुरभौंक प्रथा से दूर एक अलग तरह की डीबेट चलाई गयी
http://www.ndtv.com/video/shows/prime-time/prime-time-when-we-will-not-ask-the-questions-so-what-would-we-do-437481?site=full