हमारे बनारस में कई सारी विभूतियाँ हुई है । जो काशी को सुन्दर बनाये है . इनमे से एक काशी की शान रहे भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को हम सब गांधी जी के बीच भुला देते है । कैसन भी करके ऊ पनवारी स्याम के ई याद रहे ला कि कल दारू ना मिली ओकर जुगाड़ होए के चाहि पर केहू ई कब्बौ न सोचात की लाल बहादुर शात्री जी के याद कर लेही । अरे जनता की बात छोड़ उनका बीटा सुनील शास्त्री भी उनपर पर ध्यान नहीं देते। हमऊ सोचली की चला रामनगर लाल बहादुर शास्त्री के पैत्रिक घर और उनके स्मारक पर, वहां भी वही हाल जो हर जगह होता है । लोग तय्यारी में जुटल रहे, एक से मिला और पूछली की का होत बा चाचा, कहलन कुछो नाही बिटवा बस शास्त्री जी की यादों पर से धूलिया हतावता हई । चचा ने बात मन को छूने वाली कही आखिर हम लोग का करत हई ? गुरु इन्हीं लोगन हमारे देह ले साथ साथ काशी का मान सम्मान हैं अगर उनकी यादों पर धुल पड़ जाई तो आने वाली पीढ़ी इनके बारे में कुछो न जान पायी । रामनगर किला के पास के एक चचा मिले बोले “ पूरे विश्व में लोगन मेह्रारारू की शक्ती की बात करलन पर खाली जुबानी जमाखर्च से काम ना होवे ला, गुदरी के लाल लाल बहादुर अकेल्ला परिवहन मंत्री रहलन उत्तर प्रदेश सरकार के जब उ सरकारी बसन में महिला कंडक्टर नियुक्ति कर्वईलन । आज के ई बछा लोगन कुछ नहीं जनतन और ई कमी बा सरकार के जे गांधी जी धूम धाम से याद करेला पर लाल बहादुर शास्त्री के नहीं । अब मै वहां से निकल रहा था । जिस तरह से चहकता हुआ आया था अब भारी मन से विदा ले चुका हूँ कि भारत का एक शेर कही गुमनाम न हो जाए और दोसरे गुमनामी बाबा बन जाए । अभिन्नो वक़्त बा सुधर जा गुरु ।बनारसी समीर आज लाल बहादुर शास्त्री का हैप्पी वाला बड्डे मनाने उनके पैत्रिक घर पहुँच गये और पहुँच कर पता लगा कि वहां भी लोग उन्हें भुलाए बैठे हैं. तो गुरु, बनारसी बाबू ने ये लिख दिया. देखिये ‘लाल’ का हाल