आजादी से पहले अखबारों में राजनैतिक खबरों का जोर ज्यादातर दो तरह से रहता था,पहला ख़बरों को सूचनात्मक तरीके से पेश किया जाता था,दूसरा आजादी और उससे जु...
महात्मा गांधी के जाने के सालों बाद भी भारत की तस्वीर वैसी नहीं बन पाई जैसी ‘बापू’ ने सोची थी. वैसे देशवासी शुरू से ही समाजवाद को मानने..