पहाडी

 
  • अपनी माटी अपना बचपन -7

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    जून 9, 2017 ओये बांगड़ू
  • गाँव का ठैरा

    एक तुकबन्दी! इस तुकबन्दी के सभी पात्र और खुद तुकबन्दी करने वाला भी काल्पनिक है यह कहीं दूसरे ग्रह की बात है अपने उत्तराखंड की नहीं उत्तराखंड से इन घटन...
    मई 7, 2017 ओये बांगड़ू
  • नेता की निशानियाँ

    ‘नेता को कैसे पहचानोगे’ इस कठिन विषय में रीसर्च पेपर से कापी करके मुख्य मुख्य बातें आपके लिए लाये हैं गिरीश लोहनी , इनकी लिखी बातो...
    जनवरी 22, 2017 ओये बांगड़ू
  • पुन्तुरि

    पहाडी समाज के लोगों का असली मर्म समझने वाले तारामोहन पन्त की रचनाएँ अपने और इस समय के समाज की नब्ज पकडती रचनाएँ इन्हें समझने के लिए अलग से हिन्दी अर्थ...
    नवंबर 15, 2016 ओये बांगड़ू
  • मेरे बचपन की बोली की किताब है ये

    ‘धार का गिदार ‘ ये एक संग्रह है उन कहानियों का जो नब्बे के दशक में पैदा हुए बच्चों ने बोली , जो ना पूरी हिन्दी थी ना पहाडी .  हम प...
    नवंबर 8, 2016 ओये बांगड़ू
  • एसे लड़ते हैं पहाडी कपल

    करवा चौथ गया और अब आये उसके अनुभव, पतियों ने इस भूख हडताल को समाप्त करवा कर अब जाकर अपनी पीडाएं शेयर करना शुरू किया है. एक पहाडी पति विनोद पन्त ने तो ...
    अक्टूबर 21, 2016 ओये बांगड़ू
  • क्यों हो जाते हैं वीरान ये गाँव ?

    एक छोटे से गाँव से निकलकर सोलर एनर्जी के बड़े बड़े प्रोजेक्ट हेंडल करने वाले डाक्टर ईशान पुरोहित रीसर्च फील्ड और आई आई टी जैसे दिग्गज संस्थानों में एक ज...
    अक्टूबर 18, 2016 ओये बांगड़ू