मुद्दे इतने हो गए हैं कि क्या याद रखें और क्या भूल जाएँ, हर तरफ एक परेशानी है हर तरफ एक नया पहाड़ खड़ा मिल रहा है. परेशानी बताओ तो सत्ता कह रही है सिर्फ हमें क्यों बता रहे हो हमसे पहले के सत्ताधारियों को क्यों नहीं बताया और न बताओ तो सत्ता कहती है देखो हमारी सत्ता में जनता कितनी खुश है.
पिछले दिनों नेपाल बार्डर के एक गाँव में जाना हुआ,जिसे पंचेश्वर बाँध योजना के अंतर्गत जल्द ही डूबा दिया जाएगा. मोटरमार्ग से करीब 5 किमी पैदल चलने के बाद इस गाँव में पहुंचना सम्भव हो पाया,उत्तराखंड में एक कस्बा है लोहाघाट जो इस डूरो (डोरा,बोलचाल में नाम) गाँव से करीब 40 किमी की दूरी पर है,वही यहाँ का सबसे नजदीकी समृद्ध बाजार है. समृद्ध का प्रयोग क्यों कर रहा हूँ जल्द आपको पता चल जाएगा.
मोदी जी एक योजना है जिसके अंतर्गत गैस का सिलिंडर मुफ्त दिया जाता है (शुरुवात में) नाम आप लोग याद कर लीजिये उस योजना का मैं उसमे समय बर्बाद नहीं करूंगा. इस गाँव में लोग सिलिंडर का प्रयोग नहीं करते, कई घरों में तो सिलिंडर है भी नहीं, वह चूल्हे की आग में अपनी आँख फोड़ते हुए (जैसे प्रधानमंत्री जी के अनुसार बहुत से गरीब परिवार की मजबूरी होती है)खाना बनाता है,वो सिलिंडर नहीं लेते,वजह ये नहीं कि उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं, वजह ये है कि खाली सिलिंडर को भरवाने के लिए उन्हें अपने गाँव से 5 किमी पैदल और उसके बाद करीब 40 किमी मोटरमार्ग का सफर तय करना पड़ता है. सिलिंडर की गाडी कब आयेगी उसकी कोइ गारंटी नहीं वह समस्या अलग.
तो कहने का मतलब ये है कि अगर राज्य सरकारें इन गाँवों में पहले सडक पहुंचाती है,पहले उचित बाजार पहुंचाती और उसके बाद प्रधानमन्त्री की योजना पहुंचाती तो क्या सही नहीं रहता.
वो गाँव नदी से ज्यादा दूर नहीं है,मगर इसके बावजूद वहां पीने के पानी की गम्भीर समस्या है क्योंकि सरकारों ने कोइ पेयजल योजना उन तक नहीं पहुंचाई है,एक साधारण सा टुल्लू पम्प भी लगवा दिया जाता तो नदी से पर्याप्त पानी खींचा जा सकता था,मगर इतने सालों में वहां सिर्फ योजना बनती रही और ये कहा जाता रहा कि गाँवों में परेशानी है. नतीजन गाँवों के बच्चे घर छोड़ने को सबसे बड़िया उपाय मानने लगे और आज गाँव के गाँव सिर्फ बुजुर्गों की वजह से ज़िंदा हैं और बुजुर्गों की तरह ही अपनी आखिरी सांसे गिन रहे हैं.
इस गाँव की पूरी कहानी और उस यात्रा के विवरण जल्द ही एक सीरिज के रूप में आप सिर्फ oyebangdu में पढेंगे.
किस तरह गाँवों के हालात खराब हो रहे हैं ? क्यों गाँवों को मुर्दा बनाया जा रहा है ? आजादी के 70 सालों के बाद भी पहाड़ में क्यों सड़कें नहीं बन पा रही ? अंग्रेज जिस काम को सन 47 में कर चुके थे वो काम करने में हमें इतनी देर क्यों लग रही है जैसे बहुत से सवालों के जवाब आपको इस सीरिज में मिलेंगे .