ओए न्यूज़

रोडवेज बस एक मसाज पार्लर

अक्टूबर 13, 2016 ओये बांगड़ू

रोडवेज की बसों में सफ़र करते हुए खुद के खड़े होने भर की भी जगह बना लेना किसी बड़ी जीत से कम नही होता . खास कर सुबह के समय जब हर कोई घड़ी की सुइयों से आगे भागने की कोशिश में लगा होता है . बांगड़ू राहुल मिश्रा भी आज अपने घर से रोडवेज के सुहाने या फिर युं कि धक्कापेलम वाले सफ़र पर निकल पड़े .

आज सुबह तक़रीबन आधा घंटा सड़क की ओर टकटकी लगाये खड़े रहने के एक रोडवेज बस के दर्शन हो ही गये.  बस में जगह कम और सवारी ज्यादा थी . किसी के जरा से हिलने भर से दुसरे को कितने मुक्के या धक्के लग रहे थे  कहना मुश्किल था . खेर हम भी इस बस के धक्कापेलम वाले सफ़र में शामिल हो चुके थे.

मान्यवर कंडक्टर साहब ने बोला टिकट , हमने अपने गंतव्य का नाम बताया वो  बोला 29 रूपये, हमने दिए 30 रूपये दे दिए . बोला नौ रूपये छूटे दो , एक रुपया छुटा नही है। हमारी सिट्टी-पिट्टी गुम! हमने बोला कि हमसे 9 रूपये छुट्टे की अपेक्षा रख रहे हो और खुद के पास एक रुपया नहीं, हमने बोल दिया कि नहीं 9 रूपये! कंडक्टर साहब भी बोल पडे, हमारे पास भी नहीं है 1 रुपया! बड़ी बुरी तरह से चिल्लाया, हम झेंप गए. हमारी हालत देख के कंडक्टर ने 1 रूपया हमारी तरफ बढ़ा दिया. हम मन ही मन सोच रहे थे कि जब इसके पास छुट्टे थे तो फिर इसने ये बदतमीजी क्यों की ? कोई नहीं हम तो आम आदमी हैं, गाली खाना सीखे हुए हैं,क्या फर्क पड़ता है।

कोई नहीं! हम धीरे धीरे आगे बढ़ते बढ़ते एकदम ड्राइवर के पीछे वाली खली जगह पर खड़े हो लिए, कम से कम यहाँ हमारी मसाज  नहीं हो रही थी. वैसे आपको तो पता ही होगा कि दिल्ली की बसों में आधी सीटें महिला आरक्षित, पांच सीटें अपंग, वृद्ध को लिए। अब यार इसके बाद आम इंसान के लिए जगह बची ?

अब देखिये पुरुष का ह्रदय कितना विशाल है। जैसे ही कोई महिला देखी, अपनी सीट छोड़ कर खड़ा हो जाता है और यह निष्ठुर महिला का ह्रदय!!! वैसे यहाँ महिला आरक्षण का मुद्दा छिड़ गया तो फिर बवाल हो सकता है, इसलिए इस बात को यहीं छोड़ कर आगे रस्ते की और ध्यान देते हैं। बस चालक! अबे ये लोग बसों को गो-कार्टिंग स्टाइल में भगाते हैं। जूम जूम, एक लेन से दूसरी लेन, ट्रक को ओवरटेक, कभी लेफ्ट कभी राइट, कभी हम इधर गिरते, कभी उधर पड़ते!

मैं सोच रहा था, यार ऐसे गाड़ी चलाने की वजह क्या है? बस स्टाप पर उतरा, उतरा क्या जी, फेंका गया। मतलब चलती बस से फेंक के उतरा। कोई नहीं, अभी वापसी के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ! क्या कहें? सरकार और सरकारी बस की कुछ ऐसी ही हालत है भाई!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *