गंभीर अड्डा

फरारी आले भी पिछड़ेपन की रेस मै भाजन लग रे है

अक्टूबर 3, 2016 ओये बांगड़ू

आरक्षण के चक्कर में हाल में  हुए जाट आन्दोलन नै  इतना हंगामा मचा दिया के इब्ब आरक्षण का नाम सुनते ही सरकार कै भी जाड़ा  (टेन्शन) चढ़ जा है. अर जातिगत आरक्षण के नुकसान के बारे में समझान ताई हरियाणा के बांगड़ू रमेश मलिक  ने बिना लठ चलाए अपने शब्दों के साथ कति लठ गाड़ दिए है . आप भी पढ़िए

आजकल देश के भीतर पिछड़ेपन की होड़ चालन लाग री है, लोग खुद नै  पिछड़ा और शोषित साबित करन मै लाग रे है. बड़े-बड़े बंगला मै रहन आले और ऑडी, फरारी जैसी गाडिया मै  घुमन आले भी पिछड़ेपन की रेस मै भाजन लग रे है . एक समय था जब सब नै  एक समान दर्जा देने के मकसद तै जातिगत आरक्षण लागू किया गया था। लेकिन आज जातिगत आरक्षण ही  लोगोंं नै  बांटन का काम कर रहा है या यूं कहें कि आरक्षण राजनीतिक दलों का हथियार बन कै रह गया है. जिसका इस्तेमाल वे चुनाव तै  पहला वोट खींचन आली चुम्बक की तरह करे है.

यो  देश का दुर्भाग्य ही है कै सिर्फ राजनैतिक फायदा उठान ताई कई ऊटपटांग फैसले लिए जा रे है. जैसे एक खबर के अनुसार यूपीएससी एग्जाम देन खातिर सामान्य वर्ग की उम्र सीमा 32 तै घटा 26 हो सके. जबकि आरक्षित वर्ग की उम्र सीमा 37 ही रहगी । देश में समानता और सुनहरे भविष्य ताई इब जातिगत आरक्षण हमेशा के लिए समाप्त कर सिर्फ आर्थिक आधार पै स्कूलिंग तै लेकर नौकरी तक आरक्षण देन का समय आ गा  है।

आज हर जाति मै  हर तरह के लोग शामिल हैं। देश के कुछ हिस्सा मै  आज भी अनुसूचित जाति अर जनजाति के लोग शोषित हैं तै कई जगह उच्च मानी जान वाली जाति के लोग बुनियादी सुविधा तक ताई भी तरस रे हैंं। जातिवाद सिर्फ देश नै  तोड़न का काम कर रहा है। वर्तमान मै आरक्षण का लाभ उन लोगा तक पहुंच ही नही रहा जिन्हें इसकी सबतै ज्यादा जरुरत है। बस कुछ मलाई खान वाले मज़े ले रे है .

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 53 फीसदी दौलत देश के एक फीसद सब तै अमीर आबादी के पास है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत की 68.6 फीसदी संपत्ति का मालिक इसका 5 फीसदी सब तै अमीर वर्ग है। जबकि देश की शीर्ष 10 फीसदी अमीर आबादी के पास देश की दौलत का 76.3 फीसदी है। इसका दूसरा मतलब यह है कि बाकि 90 फीसदी लोगा की जद्दोजहद महज 23.7 फीसदी हिस्से की खातिर है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें भी भारत की सब तै  गरीब आबादी सिर्फ 4.1 फीसदी संपत्ति की हिस्सेदार है। यानि अगर किसी नै आरक्षण की जरुरत है तो वो देश के गरीब है जिन नै  समाज में हर छोटी तै छोटी जरुरत के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़े है। महात्मा गांधी ने भी ‘हरिजन’ के 12 दिसंबर 1936 के संस्करण में लिखा था कि ” धर्म के आधार पर दलित समाज को आरक्षण देना अनुचित होगा। आरक्षण का धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है और सरकारी मदद केवल उसी को मिलनी चाहिए कि जो सामाजिक स्तर पर पिछड़ा हुआ हो।“

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप तै पिछड़े वर्गा ताई     आरक्षण का प्रावधान किया गया है। बशर्ते, यह साबित किया जा सके कि वो औरा  के मुकाबले सामाजिक और शैक्षणिक रूप तै पिछड़े हैं। बाबा साहब अंबेडकर ने 1950 में 10 साल (1960 तक) तक SC के लिए 15%, ST के लिए 7.5% आरक्षण की बात कही थी। लेकिन धीरे-धीरे इसे खत्म करने की बजाय वर्ष 1993 में मंडल कमीशन की सिफारिश पर इसमें और इजाफा करते हुए OBC को भी शामिल कर लिया गया। SC और ST के कुल 22.5% आरक्षण के बाद OBC को भी 27% आरक्षण दे दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण ना किया जा सकता, लेकिन फेर  भी राजनीती चमकान ताई राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में  68% आरक्षण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें अगड़ी जातिया ताई 14% आरक्षण भी शामिल है। 

साल 2006 तक पिछड़ी जातिया  की सूची में जातियों की संख्या 2297 तक पहुंच गयी, जो मंडल आयोग द्वारा तैयार समुदाय सूची में 60% की वृद्धि थी । कहन का मतलब यो  है कि जो जातियां कम होते – होते खत्म होनी थी वह बढती जा रही है।  2016 में अभी इस सम्बन्ध में कोइ डाटा उपलब्ध ना है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक़ यह आंकडा घटने के बदले बढ़ता ही जा रहा है।

जातिगत आरक्षण देश नै विनाश की और ले जा रहा है आए दिन देश मै लोग सड़का पै  धरने प्रदर्शन कर आरक्षण की मांग कर रे  हैं . गुजरात मै पटेल जाति नै आरक्षण की मांग कर विशाल रैली की तो हरियाणा में जाट खुद को OBC में शामिल किये जान पै अड़ गे । आरक्षण को लेकर इस तरह के आन्दोलनों के कारण देश की सम्पति नै करोडोंं का नुकसान होन लाग रा  है और हिंसा के चलते लोग अपनी जान गंवान लाग रे  हैं सो अलग और इन सब के बावजूद केवल चुनावी फायदे ताई उनते आरक्षण देने की हामी भर ली जा है । अगर यूं ही चालता रहा तै वो दिन दूर नही जब देश में 100 प्रतिशत आरक्षण हो जागा और गरीब आदमी अपनी लाचारी और बेबसी में ही घुट – घुट कै दम तोड़ देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *