पुलिस क्या क्या काम करती है इस पर पूरी जानकारी लेने के लिए हरिद्वार से रिपोर्टर विनोद पन्त ने एक पूरे दिन की मेहनत की , दिल्ली तक का चक्कर लगा कर आये , और चप्पे चप्पे पर जाकर पुलिस के कामों का पता लगाया. पेश है विशेष रिपोर्ट
सुबह काम पर जाने के लिए टिफिन में सूखी रोटी और दाल का पानी लेकर चला और ऑटो में बैंठा . कुछ दूर चला था कि एक डन्डाधारी खाकी पहने मनुष्य ने लगभग बीच सड़क पर आकर ऑटो को डन्डे से रुकने का इशारा किया . आटो रुकते ही वह मनुष्य मेरे बराबर में बैठ गया .ऑटो गन्तब्य पर पहुंचा और खाकी धारी उतर गया और ऑटो वाले की तरफ खा जाने वाली निगाह से बोला – ‘स्टाफ’ . मैं भी उतरा और पैसे देकर चल दिया .
मन ही मन सोचने लगा कि कमाल है, हमारे शहर की पुलिस ऑटो चलाती है और मुझे आज तक पता ही नहीं . अब बाजार में पहुंचा तो देखा एक और वरदीधारी रेहड़ी पर छोले कुलचे खा रहा था या यूं कहिये पेल रहा था . छोले खाकर हाथ पोछते हुए बोला ‘स्टाफ’ . आगे सब्जी वाला खड़ा था , एक और भाई साहब ने सब्जी खरीदी और वही जुमला फैंक दिया – ‘स्टाफ’ . अब मेरी बुद्धि घास चरने चली गयी . मैने सोचा लानत है मेरे अल्पज्ञान पर मुझे तो पुलिस के कामों के बारे में पता ही नहीं है . मैं तो सोचता था कि पुलिस का काम केवल सुरक्षा व्यवस्था को देखना है पर यहां तो पुलिस छोले कुल्चे से लेकर सब्जी तक बेच रही है . अगर ऐसा नहीं होता तो सब्जी वाले से लेकर ऑटो वाले तक से ‘स्टाफ’ का सम्बोधन क्यों करती ? अब मैने पुलिस के कामों की जानकारी लेने की ठान ली .. काम पर जाना कैंसिल कर शहर भ्रमण करने लगा . कहीं पर देखता हूं कि पुलिस का कर्मचारी रिक्शा चालक को ‘स्टाफ’ कह रहा है तो कहीं पर आम बेचने वाले को . नुक्कड़ का पनवाड़ी चौरसिया भी मुझे ‘स्टाफ’ नजर आया तो प्राइवेट बस कन्डक्टर भी . मुझे तो इस महान कार्य में होमगार्ड के जवान भी हाथ बटाते नजर आ रहे थे . मुझे उन लोगों पर भी गुस्सा आ रहा था जो कहते हैं कि पुलिस कोई काम नहीं करती . कानून की रक्षा के साथ साथ पान बेचना, रिक्शा चलाना, सब्जी की ठेली लगाना ,ऑटो चलाना आदि आदि .तभी तो हर जगह पुलिस स्टाफ कहती है.
गजब हो पन्त जी इतनी सुरागकसी तो खुद गृह विभाग भी नही कर पाया होगा …..