बिहार में जब से शराब बंद होबय के फरमान जारी हुआ है, तभिये से बिहार के बाजार में नेपाली शराब का धूम मचा हुआ है। इसको रोकय खातिर नीतीश सरकार रोज नबका-नबका तरिका ढूढ रहा है, परंतु तस्कर सब के लिए भारत-नेपाल सीमा पर नदी आ जंगल के रस्ता से नहीं निपट पाया है, जिसका भरपूर फ़ायदा उठाया जा रहा है। अब तो ई हालात हो गया है कि शराबबंदी के बाद नेपाली तस्कर आ बिहारी तस्कर मिल कर कारोबार को फला-फूला रहा है।
हालहिं में बगहा पुलिस भारी मात्रा में शराबक साथ तस्कर को गिरफ्तार किया था। चंपारण, मधुबनी, बगहा, सीतामढ़ी अइसन बहुतो जिला है जो नेपाल सीमा से सटल है, और हियाँ अक्सर शराब तस्कर गिरफ्तार होत रहल है। काल्हिये की बात है, लौकरिया पुलिस गंडक नदी से छापेमारी कर नांव समेत 1200 नेपाली शराबक बोतल जब्त किया है। अहि धंधा में ऊ कारोबारी शामिल हैं, जो शराबबंदी के पहिने बिहारक जिला में शराबक कारोबार करता था। बंदी के बाद अधिक मात्रा में ई कारोबारी तस्कर बन कर उभरा है, जो बिहार में शराबबंदी कानून के ठेंगा दिखा कर अपना काम सलेटता है।
नेपाल से निकलल नदि आ सीमा पर पसरल वाल्मीकि रिजर्वक जंगल दूनू शराब तस्कर के खातिर वरदान साबित हो रहा है। रतिया के अंधेर में शराब नेपाल के बाजार से सरहद पार कर बिहारक सीमा में प्रवेश करत है आ शराबी सब का प्यास बुझा रहा है। शराबंबदी के बाद दर्जनों बार अहि तरहक शराबक खेप को पकड़ा भी गया है, परंतु शराबक कारोबारी के नेटवर्क तक पहुंचय में पुलिस विफल रही है। आब सवाल ई है कि, बिहार के कड़गड़ कानून के बादो शराबक खेप कोन बाजार में आ कैसे बिक रही है?