यंगिस्तान

न्यू अवतार वाले महाराज धृतराष्ट्र

अक्टूबर 11, 2016 ओये बांगड़ू

दिल्ली में गुमते रहने वाले जैकी मिश्रा अक्सर बुरा ना देखो की नीति पर चलते आँखे मूंदे हुए से चलते है. आज वो पहुँच गये है एक अँधा श्री और तोता टाइप रामप्यारे के बीच. तो तोता अखबार से किस अंदाज़ में खबरे पढ़ रहा है , जरा आप भी पढ़िए

दिल्ली के महाराज धृतराष्ट्र सुबह सुबह ग्रीन टी सुडक रहे हैं. रामप्यारे उनको रोज की तरह अखबारों के समाचार सुना रहा है क्योंकि महाराज अंधे हैं। तो ना टीवी देख सकते और ना ही अखबार पढ सकते हैं। बचे खुचे सर पर राजस्थानी पग्गड चढा रखा है सो दिमाग भी ज्यादा कुछ काम नही करता। बस रामप्यारे की सूचना अनुसार ही राजकाज के निर्णय लेते रहते हैं।

वैसे महाराज धृतराष्ट्र के पास पहले एक चंकी नामक वरिष्ठ सलाहकार होते थे जो आजकल शायद ब्लाग जगत से छुट्टियों वाला हनीमून मनाने गए हैं लखनऊ! तो सारा सलाहकारी का बोझ आजकल रामप्यारे ही संभाल रहा है।

रामप्यारे बोला – महाराज आजकल तो बस यही समाचार है कि नरेंद्र मोदी ने क्या कह डाला? सर्जिकल स्ट्राइक हुई भी कि नहीं? दिग्विजय सिंह ने कौन सी विजय कर डाली? राहुल गांधी ने क्या दलाली कर ली? इसके पीछे की रणनीति का जनक कौन था?

महाराज धृतराष्ट्र – अरे रामप्यारे, और भी तो कुछ खबरें होंगी? हमारी प्यारी प्रजा का क्या हाल है?

रामप्यारे – महाराज प्यारी प्रजा का तो पता नही पर कोर्ट ने एसिड हमलों की रोकथाम के लिये कुछ कडे कानून बनाने का कहा था और सुना है सरकार अब सरेआम एसिड बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

महाराज धृतराष्ट्र – तो इसमे गलत क्या है? हमने ही आदेश दिया है क्योंकि इस तरह आसानी से एसिड मिलने से मनचले बेचारी कन्याओं पर एसिड फ़ेंक देते हैं। कोई कोई तो खुदकुशी के लिये भी एसिड पी लेता है। हमको अपनी प्यारी प्रजा की बहुत फ़िक्र रहती है, इसलिये हम बहुत जल्दी और भी कुछ कडे कानून लागू करवायेंगे।

रामप्यारे – महाराज, आपको प्यारी प्रजा की इतनी ही फ़िक्र है तो बीडी सिगरेट और शराब पर भी जड से ही रोक लगा दीजिये। इससे आपका स्वास्थ्य बजट भी काफ़ी घट जायेगा और हर साल जो लाखों मौत इनकी वजह से होती है। भरे पूरे घर उजड जाते हैं। इससे भी आपकी प्यारी प्रजा निजात पा जायेगी?

महाराज धृतराष्ट्र बोले – अरे रामप्यारे बावला हो ग्या के?  यदि बीडी सिगरेट और शराब बनाने पर ही रोक लगा देंगे तो फ़िर खजाना काहे से भरेगा? फ़िर हमारे विदेशी दौरे और जैड प्लस वाली सुरक्षा का खर्चा कौन उठायेगा? सरकारी रोजगार के अवसर कहां से पैदा करेंगे? बावलीबूच कहीं का! बोलणैं त पहले सोच भी लिया कर।

 

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