गंभीर अड्डा

‘गॉडेस् ऑव्ह लव ‘ की लव स्टोरी

अक्टूबर 9, 2016 सुचित्रा दलाल

खोजबीन के उस्ताद चन्दन मनपंथी है. इनका दिमाग हमेशा दुनिया को खंगालने में लगा रहता है. यह कभी गुरु गूगल तो कभी किताबो की दुनिया में जा कर गजब बाते खोज लाते है. कई बार तो गूगल भी इन से हाथ जोड़ कर बोल पड़ता है कि चंदन गुरु बस करो अब तो मेरे पास भी कुछ नही बचा. आज यह ओएबांगड़ू के लिए यूनान की ‘गॉडेस् ऑव्ह लव ‘ की लव स्टोरी खोज लाये है .

यूनान की पौराणिक कथाओं में अफ्रोदीती का ज़िक्र हुआ है ।अफ्रोदीती के जन्म को लेकर कई धारणायें हैं । प्राचीन ग्रीक् कवि हिसिअड की मशहूर काव्य ” थिऑगनि ” में वर्णित है कि क्रोनस ने यूरेनस के जननांग को काटकर समुंद्र में फेंक दिया और समुन्द्र के उस फेन (झाग) से अफ्रोदीती उतपन्न हुई । तो दूसरी ओर ग्रीक के ही दूसरे प्राचीन कवि होमेर के ‘ इलियाड ‘ में लिखा है कि अफ्रोदीती ज़ियस और दिओनी की बेटी हो । इसकी सच्चाई चाहे जो हो लेकिन अफ्रोदीती और उसके प्रेमी अदोनिस की कहानी एक मामले में भारत की पौराणिक कथा सती सावित्री और सत्यवान की कथा से मिलती है ।

सावित्री अपने पति के सत्यवान के  प्राण  यमराज़ तक  से वापिस ले आई थी.  एक दिन जब सत्यवान जंगले में लकडिया काटने गया तो वह गिर पड़ा और यमराज उसके प्राण लेने आ गये लेकिन जब वो जाने लगे तो अपने पति के साथ बैठी सावित्री भी यम के पीछे-पीछे जाने लगी। यम ने बहुत मना किया। सावित्री नही मानी. अंत में यमराज ने कहा कि सत्यवान् को छोडकर चाहे जो माँग लो, सावित्री ने कहा-यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे सत्यवान् से सौ पुत्र प्रदान करें। यम ने बिना ही सोचे प्रसन्न मन से तथास्तु कह दिया। वचनबद्ध यमराज आगे बढे। सावित्री ने कहा- मेरे पति को आप लिये जा रहे हैं और मुझे सौ पुत्रों का वर दिये जा रहे हैं। यह कैसे सम्भव है? वचनबद्ध यमराज ने सत्यवान् के सूक्ष्म शरीर को पाशमुक्त करके सावित्री को लौटा दिया और सत्यवान् को चार सौ वर्ष की नवीन आयु का आशीर्वाद दिया.
कुछ इसी तरह यूनान की अफ्रोदीती के ऐसे तो के कई पति और प्रेमी बताये जातें हैं , जिसमें देवता से लेकर मनुष्य तक शामिल हैं , लेकिन भेड़ चराने वाले अदोनिस नाम के एक सुंदर, नौजवान गड़रिया से उसका कुछ ख़ास लगाव था । दोनों प्रेमी प्रेमिका की तरह रहते थे । एक दिन अदोनिस जब भेड़ चराने के लिए जंगल में निकला तो एक जंगली सुअर ने उसपर हमला कर दिया । अदोनिस बुरी तरह घायल हो गया और कुछ देर बाद तड़प तड़प के मर गया । अफ्रोदीती को जब ये बात मालूम पड़ी तो वो आई और अपने प्रेमी की लाश से लिपट के रोने लगी । वो घण्टों अपने प्रेमी के मृत शरीर से लिपटी रही, दाह संस्कार के लिए छोड़ने को तैयार नहीं हुई । अपने प्रेमी के प्रति उसका प्रेम और उसके ह्रदय विदारक विलाप देख के देवताओं ने उसे उसके प्रेमी को ज़िंदा कर दिया ।

आज भी इटली,यूनान,मिस्र, सीरिया आदि देशों में अफ्रोदीती के कई मंदिर हैं । अफ्रोदीती को लोग ‘गॉडेस् ऑव्ह लव ‘ के नाम से याद करते हैं । वीनस भी अफ्रोदीती का ही नाम ।

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