बांगड़ूनामा

रेहडी वाला प्यार

अक्टूबर 4, 2016 कमल पंत

हर गली मोहल्ले से हर पल हर लम्हा एक लव स्टोरी गुजरती है, हर लव स्टोरी की एंडिंग हो एसा जरूरी नहीं होता, जैसे कमल की बचपन से आज तक की लाखों लव स्टोरी में हुआ . हमेशा स्यापा.

दिल्ली का पॉश इलाका साउथ एक्स, कालोनी कौनसी थी पता नहीं क्योंकि अक्सर रेहड़ी पर मौसमी का जूस बेचते हुए मैं बहुत सी कालोनियों में पहुँच जाता था, यहाँ कोइ भी खुद अपने फ्लेट से बाहर निकल कर मेरे जूस के लिए नहीं आता था, गार्ड, बाई, नौकर वगेरह आते और सबसे पहले मेरे मौसमी फलों की अच्छी तरह से जांच करते, हालांकि ना उन्हें पता था न मुझे कि फलों में ऐसे देखकर आखिर उनके रसदार या सूखे होने का पता कैसे चलता है। बस एक फारमल्टी सी करके वह मुझसे तीन या चार गिलास जूस ले जाते। अक्सर उनके मालिकों को डर लगा रहता था कि कोइ उन्हें सड़क के रेहड़ी का जूस पिता ना देख ले इसलिए गार्ड या नौकर को हिदायत रहती थी कि चुपके से अंदर ले आना, आठ दस कालोनी में चक्कर मारकर मेरा माल लगभग खत्म हो जाता था। फिर बस आखिर का कुछ सामान रहता था जिसे मैं बच्चों को यूँही दे आता था।

एक दिन इसी तरह पूरा जूस बेचकर जब आख़िरी कालोनी से बाहर निकला तो एक बॉब कट खुले बालों में गोरी सी लड़की मेरा इन्तजार करते हुए मुझे नजर आयी, शक्लो सूरत से वह भी उन्ही पॉश कालोनियों के किसी घर की नमूनी लग रही थी, बस कार या स्कूटी का फर्क था, क्योंकि वह पैदल ही भटक रही थी, पहली नजर में मुझे लग गया था कि इसे मेरा इन्तजार है फिर भी जानबूझकर मैं किनारे से रेहड़ी लेकर निकालने की फिराक में था, इतने में वो दौड़ती हुई आयी और रेहड़ी के आगे हिस्से से टकरा गयी, उसके मुंह से निकली “आह” ने झकझोर दिया। मैंने पूछा “ठीक हो मेमसाब” तो जवाब आया “भाग क्यों रहे थे मालूम टू हावर से तुम्हारा वेट कर रही थी” पहली बार किसी लड़की को अपना इतना वेट करते देखा तो आँखों से आंसू निकल आये। आंसू सम्भलाते हुए मैंने उस लँगड़ाती फूल(हिंदी वाला ) से पूछा “क्या हुआ मेमसाब, मैंने क्या कर दिया”। अपने दर्द को सँभालते हुए बोली, “तुम जो यहाँ के बच्चों में जूस बाँट जाते हो ना देखकर बहुत अच्छा लगता है” पहली बार अपने किये किसी कर्म का फल मिल रहा था, मालूम था ये आसमान की है और मैं जमीन का, फिर भी ह्यूमन नेचर के हिसाब से लड़की पर दिल लट्टू हुए जा रहा था।
उसने अचानक अपने पर्स से 500 का नोट निकाला और बोली, मेरी एक संस्था है, सड़क के बच्चों के लिए काम करती है, उन्हें शाम को रोज 30 गिलास जूस देने आ सकते हो। ये मौक़ा मैं कैसे छोड़ सकता था। तुरन्त हाँ कह दिया।
घर जाकर अपना नया कुर्ता निकाला प्रेस किया और पूरा दिन कहीं रेहड़ी नहीं घुमाई, शाम को सीधा मेमसाब की संस्था में पहुँच गया। मैंने सोचा रोज नजरों के सामने रहूंगा तो शायद किसी ना किसी दिन मेमसाब की नजरें इनायत हो जाएँ और ये असम्भव सा दिखने वाला प्यार सम्भव हो जाए।
मेमसाब के बच्चों को जूस पिला ही रहा था कि पीछे से पॉश कालोनी का इफेक्ट लिए गोरी मैम एक चम्पू से दिखने वाले लड़के के साथ परगट हुई। एक बारगी दोनों को देखकर दिल धक्क कर गया और अंदेशा हो गया कि सपने बस सपने होते हैं। गाड़ी उतरते ही मेमसाब से मेरे कन्धों में अपना हाथ रखा और बोली, तुम्हारी वजह से अभी तक लँगड़ा रही हूँ, इसी वजह से सलमान को आना पड़ा मुझे यहाँ छोड़ने। मैंने दबते डरते मुस्कुराते हिचकाते हुए पूछ ही लिया..सलमान कौन?
बोली अरे सौरी मैंने बच्चों को भी नहीं मिलाया इनसे, ये सलमान हैं एक बिजनेसमैन जो रियल जूस प्रोडक्ट आते हैं मार्केट में उनके मालिक के बेटे और हमारी संस्था के केयर टेकर।
सब कुछ बता दिया मगर ये नहीं बताया कि उनके वो कौन हैं! तब से आज तक बस कन्फ्यूजन में जूस पिला रहा हूँ बच्चों को।
मेमसाब आती हैं, बच्चों से चार बातें करती हैं और चली जाती हैं और मैं अपनी रेहड़ी में बच्चों को जूस पिलाता हुआ उन्हें निहारता रहता हूँ,इसी उम्मीद के साथ कि एक बार और टकराएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *