बनारस के विनय कुमार जब से जोहान्सबर्ग में हैं वो हर एक चीज नोट कर रहे हैं, छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी , हवाई अड्डे से निकलने के साथ ही उन्होंने एक जोहान्सबर्ग डायरी बनाना शुरू कर दिया था जिसे वह ख़ास हमारे यहाँ के बच्चों के लिए शेयर कर रहे हैं , ताकि वह वहां की अच्छी बातें जां सकें . आज है जोहान्सबर्ग डायरी की तीसरी चिट्ठी
दरअसल होटल का मेन गेट बंद था और कोई भी वहां नहीं था| इण्टरकॉम पर जब हमारे ड्राइवर ने फोन किया तो उसने सबसे पहले पूछा “आप कैसे हैं(How are you), उधर से कुछ पूछा गया तो ड्राइवर ने कहा “मैं ठीक हूँ (I am fine)| फिर ड्राइवर ने रूम बुकिंग के बारे में बताया तो गेट खुला और हम लोग अंदर गए|
अंदर रिसेप्शन पर बैठी महिला ने भी पहले पूछा “आप कैसे हैं, ड्राइवर ने कहा “मैं ठीक हूँ| फिर ड्राइवर ने पूछा “आप कैसे हैं, तो रिसेप्शन वाली महिला ने कहा “मैं ठीक हूँ| इसके बाद कमरे की औपचारिकता पूरी हुई और हम लोग अपने कमरे की तरफ बढे| कमरे के पास एक और सज्जन थे जिन्होंने देखते ही पूछा “आप कैसे हैं, और ड्राइवर ने जवाब देकर वही प्रश्न उससे पूछा और फिर कमरा खुला और हम लोग अंदर गए| कमरे में बैठने के बाद मुझे यही लगा की अपना ड्राइवर यहाँ हमेशा आता होगा इसलिए इसे सभी पहचानते हैं और हाल चाल पूछ रहे हैं|
दोपहर का भोजन अपने एक सहकर्मी के घर था और वहां से हिंदुस्तानी खाना खाकर हम लोग बगल के एक शॉपिंग माल में आये| वहां पर हमारे सहकर्मी ने कुछ ख़रीदा और जब बिल के भुगतान के लिए गया तो एक बार फिर वही सिलसिला शुरू हुआ| पहले सहकर्मी ने पूछा “आप कैसे हैं, उसने जवाब दिया, फिर उसने पूछा और सहकर्मी ने जवाब दिया| इसके बाद ही बिल का भुगतान हुआ और हम लोग वापस निकले|
अगले कुछ दिनों में ये चीज स्पष्ट हुई कि इस देश का यह सामान्य शिष्टाचार है कि जब भी आप किसी से मिलते हैं, चाहे वो व्यक्ति जो भी हो, (वो आपका ड्राइवर हो सकता है, स्वीपर हो सकता है, दूकान वाला हो सकता है या आपका कोई परिचित), आपको सबसे पहले उसकी कुशल क्षेम पूछनी है, फिर वो आपका पूछेगा और इसके बाद ही कोई और बात होगी| इस बात को भी सीखने में मुझे महीनों लग गए क्योंकि अपने हिंदुस्तान में तो आप परिचितों से हाल चाल मुश्किल से पूछते हैं, बाकियों के लिए क्या कहें|
यहाँ तक कि आप अगर फोन करते हैं, चाहे किसी को भी, या किसी का भी फोन आता है तो आपको पहले उसकी कुशल क्षेम पूछनी है, फिर अपनी बतानी है और उसके बाद ही आप काम की बात कर सकते हैं| अगर आपने सीधे काम की बात कर दी तो आप घोर असभ्य माने जाएंगे और लोग इसका बहुत बुरा मान जाते हैं| अगर किसी भी व्यक्ति से आपकी नज़रें मिली तो आपको सामान्यतया मुस्कुराना चाहिए, नहीं तो ये भी असभ्यता मानी जाती है यहाँ पर| अगर गलती से आपने किसी का हाल चाल नहीं पूछा तो लोग आपको टोक भी सकते हैं कि आपने उनकी कुशल क्षेम नहीं पूछी| यहाँ तक कि अगर आपको किसी से कोई रास्ता या कुछ और भी पूछना है तो पहले आप कुशल क्षेम पूछेंगे, फिर अपना बताएँगे और उसके बाद ही आप रास्ता या कुछ और पूछ सकते हैं| सबसे मजेदार तो तब होता है जब आपको रास्ते में ट्रैफिक पुलिस वाला रोकता है आपके लाइसेंस को चेक करने के लिए और तब भी पहले आप उसकी कुशल क्षेम पूछते हैं, फिर वो पूछता है और फिर आपका लाइसेंस मांगता है|
अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कहाँ के लोग ज्यादा सभ्य होते हैं|
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