बांगड़ूनामा

लडाई – हरिशंकर परसाई

अक्टूबर 2, 2016 सुचित्रा दलाल

ओएबांगडु आजकल लोग सोशल मीडिया की दुनिया मेंं खूबे लिखते-पढ़ते है और लाइक,कमेंट का खेला खेलते है। लेकिन पहले जब इह सब नही था तब भी लोग लिखते थे और ऐसा लिखे की बरसों बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है। उन्हीं
मे से एक थे हरिशंकर परसाई जिन्होंने शब्दों से दुनिया की हरकतों पर व्यंग के ऐसे मजे लिए जो सालो बाद भी लोगो पर फिट बैठते है और हिट है .चलो अब ज्यादा मजे ना ही लो और हरिशंकर परसाई का ये मजेदार किस्सा पढ़ो ‘ लड़ाई ‘ और पूरा पढ़ना क्युकी अक्सर यु ही होती है .

लड़ाई
चोपड़ा साहब और साहनी साहब के बंगले लगे हुए थे। बीच में एक दीवार थी। दाेनों एक-एक कुत्ता पाले थे। कुत्ते भयंकर थे और मुहल्ले के लोग डरते-डरते सड़क के दूसरे किनारे से निकलते थे। यों चोपड़ा साहब और साहनी साहब का स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसा था कि उन्हें अलग से कुत्ता रखने की जरूरत नहीं थी। वे ही काफी थे। एक दिन पता नहीं चोपड़ा साहब का कुत्ता साहनी साहब के अहाते में घुसा या साहनी साहब का कुत्ता चोपड़ा साहब के अहाते में, पर दोनों कुत्ते सड़क पर लड़ते पाए गए। चोपड़ा साहब और साहनी साहब दोनों फौरन सड़क पर आए। पहले तो उन्होंने अपने-अपने कुत्ते संभाले। कुत्ते अपने-अपने मालिक की टांगों से लिपटने लगे। चोपड़ा ने कहा- दस बार कह दिया कि अपने कुत्ते को संभालकर रखा करो। साहनी ने कहा- तुम अपने कुत्ते को संभालो न। वही तो हमारे अहाते में घुस आया था। न जाने किस चोर नस्ल का कुत्ता है। – चोर नस्ल का कुत्ता है तुम्हारा। – तुम, तुम चोर नस्ल के हो और तुम्हारा कुत्ता भी। जैसा मालिक, वैसा कुत्ता। – चोर तुम हो जी। पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों से पैसा खाकर बंगल बनवा लिया है। – तुम चार सौ बीस। स्मगलिंग करके ठाठ करते हो। दोनों कुत्ते अपने-अपने मालिक की टांगों से लिपटकर उन्हें प्रोत्साहित कर रहे थे। – कहे देता हूं, इधर तुम्हारा कुत्ता आया तो गोली मार दूंगा। – और तुम्हारा कुत्ता उधर आया तो उसे गोली मार दूंगा और तुम्हें भी। – तू गोली मारेगा कुत्ते की औलाद! – तू सूअर के। वहां भीड़ लग गई थी। एक राहगीर ने एक आदमी से पूछा- क्यों जी, मामला क्या है? उस आदमी ने जवाब दिया- कुछ नहीं जी, कुत्तों की लड़ाई है!

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