देश की राजधानी दिल्ली के अंदर करीब दो हजार एटीएम हैं. करीब 20 लाख की आबादी या यूं कहें लगभग 4 लाख परिवारों पर ये दो हजार एटीएम काम करते हैं. 24 घंटे काम करने वाले इन एटीएम पर चार लाख रूपया एक समय में भरा जाता है. जिसमे अलग अलग नोटों को अलग अलग अनुपात में रखा जाता है. एटीएम खाली होते ही दोबारा भरने में एक से दो घंटे लगते हैं बस . उसके बावजूद पूरा दिन एटीएम फुल रह रहे हैं .
दो हजार एटीएम होने के बावजूद दिल्ली में आधी रात को भी लाइन लगी मिल रही है. लगातार काम करते रहने के कारण एटीएम टेक्निकल समस्या से जूझने लग गए हैं. दिल्ली देश की राजधानी होने के बावजूद फिलहाल बहुत मुश्किल में चल रही है. लोगों का कैश खत्म हो चुका है जबकि उनके पास आनलाइन बैकिंग और कार्ड पेमेंट जैसी सुविधा उपलब्ध है.
अब सोचिये उस शहर के क्या हाल होंगे जहाँ पांच लाख आबादी पर दो सौ एटीएम भी नहीं हैं. दिल्ली की तरह कार्ड पेमेंट की सुविधा हर दूकान पर नहीं है. आनलाइन बैंकिंग से शहर जुड़ तो गए हैं लेकिन अभी ग्राहक यूजर फ्रेंडली नहीं हुआ है. वहां एटीएम में दो दो किमी लम्बी लाइन लगी हुई है. लोगों के दिमाग में बस यही है कि खर्चा चलाने लायक कैश निकल आये.
लखनऊ -एटीएम मौजूद हैं लेकिन सभी में कैश खत्म हो चूका है. कोशिश की जा रही है कि दिन में दो बार कैश डाला जाए मशीनों में. लेकिन स्टाफ की दिक्कत की वजह से संभव नहीं हो पा रहा .
जयपुर – अधिकतर एटीएम दिन बीतने से पहले खाली हो जा रहे हैं. टूरिस्ट घूमने के बदले एटीएम की लाइन में लगा है. कार्ड प्रेमेंट अचानक बड गया है .
लुधियाना -एटीएम में लाइन बरकरार है. लेकिन एटीएम से ज्यादा भीड़ बैंकों में है. पर बात एटीएम की करें तो यहाँ भी एटीएम या तो खराब हैं या कैशलेस .
इलाहबाद -एटीएम में सुबह से ही लाइन लगी हैं. कैश खत्म होने के बावजूद भीड़ नहीं हट रही .
हिसार -आस पास के गाँव के लोग दो दो चार एटीएम कार्ड लेकर मशीनों के पास बैठे हैं.कैश आये तो निकाल कर घर को जाएँ.
देहरादून -राजधानी में अपने आफिस वर्क कराने आये लोग फंस चुके हैं. एटीएम में पैसे नहीं , जेब में ज्यादा कैश नहीं . होटल वाला उधार ना दे जाए तो जाए कहाँ .
नैनीताल -उसी होटल की चांदी है जिसका कार्ड पेमेंट होता है. जो कैश में जिन्दगी चलाते हैं उनकी बिक्री बंद. आखिर टूरिस्ट भी ज्यादा कैश लेकर नहीं जाता . खासकर नैनीताल जैसी जगहों पर जब गाडी लेकर आया हो.
दिल्ली के जब हाल बुरे हैं तो बाकी शहरों के बारे में क्या सोचें .