गंभीर अड्डा

कर्बला कथा -अध्याय 9

अक्टूबर 22, 2016 ओये बांगड़ू

मोहर्रम के पीछे एक दर्द भरी दास्ताँ है हुसैन की जिसे इतिहास की नजर से देखना बहुत जरूरी है. हैदर रिजवी बता रहे हैं क्या क्या हुआ था आखिर कर्बला में

इधर हुसैन का परिवार क़ैद होकर यज़ीद के दरबार शाम (सीरिया) पहुंचा, उधर शुरू थी हुसैन का सर पहुंचाने की होड़. हुसैन का सर काटने का इनाम एक किन्तार(ढाल) भर के सोना और सर लाने वाले को सर के वज़न बराबर सोना जो मिलना था. शिम्र ने एक दल को रवाना किया हुसैन का सर लेकर , वहां से क़ुली नाम के एक सिपाही ने उस सर को चुरा लिया और यज़ीद के पास पहुंचाया. यज़ीद जिस वक़्त तख़्त पर बैठा और दरबार में हुसैन का परिवार कैदियों की तरह उसके सामने खड़ा किया गया, उस समय दरबार में 700 कुर्सियां पड़ी हुई थीं, यज़ीद के सामने एक तश्त में हुसैन का सर रखा था, जिसके ऊपर बारबार यजीद अपने पैर रख लेता था, कभी अपने राजदंड को उस पर टेकता तो कभी राजदंड से सर के होंठों पर मारता. सामने हुसैन का परिवार, बेटा, बहन यहाँ तक छः साल के बेटी सकीना भी यह मंज़र देख रही थी.

यजीद ने सय्यदे सज्जाद से एक कुरान की आयत बोलकर कहा, जिसका अर्थ था कि खुदा जिसको चाहता है ज़िल्लत देता है और जिसको चाहता है इज्ज़त देता है. ” सज्जाद, देखो खुदा ने कैसे तुम्हे रुसवा किया और जिस हुसैन को अपने बाप दादा पे नाज़ था कैसे मेरे क़दमों पर पड़ा हुआ है”. ज़ैनब बोलीं ” ऐ हमज़ा का कच्चा जिगर चबाने वाली हिन्दा की औलाद, तुझे क्या पता बाप दादों की इज्ज़त क्या होती है, और तू जो इतरा रहा है अभी समझ ही नहीं पाया है कि हुसैन ने हमेशा के लिए इज्ज़त खरीद ली और तुझे क़यामत तक के लिए रुसवा कर दिया”. यजीद बौखला गया , हिन्दा यजीद की दादी थी और वैश्या थी. मुहम्मद साहब के चचा हमज़ा जो रसूल के साथी और बहुत बहादुर शख्स थे, उनको हिन्दा ने मरवा कर उनका कच्चा जिगर चबा लिया था. यह इस्लाम में हुई उस समय की सबसे क्रूरतम और निकृष्ट घटना थी. इतिहासकार लिखते हैं ज़ैनब दरबार में बोलती जा रही थीं और दरबार में सन्नाटा पसरा था. लोगों को अली का लहजा याद आ गया. अचानक यज़ीद उठा खड़ा हुआ और क़ैद में डालने का हुक्म देकर दरबार से चला गया.

यह जैनब का भाषण कर्बला के युद्ध का पहला ऑफिशियल प्रेस रिलीज़ साबित हुई. 700 लोगों के दिलों में सुनकर खलबली मच गयी, और सबके दिलों में कहीं न कहीं एक बात चुभ गयी के हुसैन सही थे और यजीद गलत.बात एक कान से दुसरे कान फैलती रही और सन्देश  ब्रोडकास्ट होता रहा.

इधर हुसैन के पूरे परिवार को एक ऐसे छोटे कमरे में क़ैद किया गया, जिसमें छत नहीं थी. जिधर छाँव होती परिवार उधर की दीवार में चिपक कर बैठा रहता. कैदखाने में भी भोजन और पानी इतना ही दिया जाता था कि परिवार जीवित रह सके. 2 महीने की क़ैद के बाद सकीना ने उसी कैदखाने में दम तोड़ दिया. सय्यदे सज्जाद ने क़ैद में ही एक कब्र बनाकर बच्ची को दफन किया.

यह क़ैद एक साल की थी. इसके बाद हुसैन के परिवार को रिहा किया गया, और परिवार वापस मदीने लौटा.

करबल कथा के नौ अध्याय समाप्त हो चुके हैं, जिसमें हुसैन के कर्बला जाने से पहले के राजनैतिक हालात, कर्बला का युद्ध और युद्ध की समाप्ति के बाद परिवार पर किये गए ज़ुल्म थे. अब आखिरी अध्याय बचा है, जिसमें इस्लाम का पुनर्गठन छुपा हुआ है. अगली बार जरूर पढ़ें इसकी आख़िरी किश्त .

कर्बला कथा के हर अध्याय में उससे पीछे के अध्याय का लिंक दिया गया है ताकि पढने वालों को सभी घटनाक्रम आसानी से क्रमवार पढने को मिल सकें.

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कर्बला कथा -अध्याय 8

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