यंगिस्तान

जोहान्सबर्ग से चिट्ठी -4

अक्टूबर 17, 2016 ओये बांगड़ू

भारत में जिसे सिग्नल कहते हैं वह जोहान्सबर्ग में रोबोट हो जाता है इसी तरह मेडिकल स्टोर फार्मेसी और पता पूछने के लिए पनवाड़ी नहीं पेट्रोल पम्प वाले. एसी ही इंट्रेस्टिंग चीजें हमारे साथ अपनी अनमोल जोहान्सबर्ग डायरी से शेयर कर रहे हैं बनारस के विनय कुमार . पेश है चौथी चिट्ठी

होटल से निकलकर बाहर जाने पर एक चीज तो कॉमन थी कि ट्रैफिक सिग्नल लाल होने पर रुक जाना लेकिन शुरुवात में काफी दिक्कत हुई सिग्नल के नाम को लेकर| पहले या दूसरे दिन ही ड्राइवर ने कहा कि अगले रोबोट से दाएँ मुड़कर जाना है तो मैं चौंका कि शायद यहाँ हर चौराहे पर रोबोट लगे हुए हैं| फिर मैंने कई दिन ध्यान दिया, मुझे किसी भी सिग्नल पर रोबोट नहीं दिखा| आखिरकार कुछ दिन बाद मैंने अपनी झिझक तोड़ते हुए उससे पूछ ही लिया कि मुझे तो रोबोट कहीं नहीं दिखता तो वह मुस्कुराया| फिर मुझे पता चला कि यहाँ ट्रैफिक सिग्नल को ही रोबोट बोलते हैं|

अगली उलझन एक और बात को लेकर हुई, चूँकि यहाँ आपको अपनी कार रखनी ही है तो मैंने भी तुरंत एक कार खरीदी और फिर पेट्रोल पम्प कहाँ कहाँ हैं ये पता लगाना चाहा| इस शहर में लगभग हर आधे किमी पर कोई न कोई पम्प मिल ही जायेगा, बशर्ते आपको ये पता हो कि उसे यहाँ गैराज कहा जाता है| (अपने देश में और यहाँ में नाम में क्या क्या फ़र्क़ है, धीरे धीरे पता चला| जैसे यहाँ दवा की दूकान को मेडिकल स्टोर न कह कर फार्मेसी कहते हैं|)

सबसे बड़ी शुरूआती दिक्कत हुई जगह के बारे में पता लगाने में| फ़र्ज़ कीजिये कि आपको बनारस में कहीं जाना है तो आपको सिर्फ ये पता होना चाहिए कि आपको किस एरिया में जाना है, उसके बाद तो आप पानवाले से, किसी भी दूकान वाले से या सड़क पर जाते किसी भी व्यक्ति से पता पूछकर जा सकते हैं| लेकिन यहाँ तो आपको सिर्फ और सिर्फ एक ही जगह से रास्ता पता चल सकता है और वो है गैराज (मतलब पेट्रोल पम्प)| बाकी कहीं न तो आप पूछ सकते हैं और न कोई आपको बताएगा|  अगर गलती से किसी ने बताया भी तो ये तय है कि आपको समझ में नहीं आएगा (मुझे तो आज तक नहीं समझ आता)|

यहाँ अगर आपको कार चलानी है तो आपको सिर्फ और सिर्फ जी पी एस का ही सहारा होता है, उसी के जरिये आप पूरे देश में घूम सकते हैं| अब मैंने तो हिंदुस्तान में कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं किया था तो खासी दिक्कत हुई लेकिन जब से फोन का गूगल मैप प्रयोग करने लगा, तब से बहुत राहत है|

एक और बात यहाँ पर दिखी कि अगर आपको किसी ने आगे जाने दिया तो आपको उसको धन्यवाद जरूर कहना है|  उसके दो तरीके हैं, या तो आप अपनी कार में से ही अपना हाथ उठाकर उसे धन्यवाद दें, या फिर अपनी पार्किंग लाइट को जला बुझा कर| अगर आपने ऐसा नहीं किया तो फिर आप घोर असभ्य समझे जायेंगे (शुरू में तो लोगों ने पक्का मुझे असभ्य ही समझा होगा)|

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जोहान्सबर्ग से चिट्ठी -3

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