यंगिस्तान

जोहान्सबर्ग डायरी -9

अक्टूबर 26, 2016 ओये बांगड़ू

बनारस के विनय कुमार ने जोहान्सबर्ग में एक अलग चीज देखी , बाईक का स्टेट्स सिम्बल होना . यहाँ वेस्पा स्कूटर की कीमत में कार खरीदी जा सकती है. है ना रोचक ! एसी ही रोचक जानकारियों के लिए पढ़ते रहिये जोहान्सबर्ग डायरी .

हिंदुस्तान से आये हुए किसी शख्स के लिए ये विश्वास करना कि किसी देश में वीकेंड (शुक्रवार शाम से रविवार देर रात तक) किसी को फोन करना या किसी से कार्य सम्बंधित बात करना न सिर्फ अभद्रता मानी जाती है, बल्कि सामने वाला व्यक्ति आपसे खफा भी हो सकता है| इस देश में वीकेंड मतलब सिर्फ मौज मस्ती, घूमना फिरना, फोन दूसरों के लिए बंद और रिलैक्स करना| यहाँ तक कि कोई प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाला डॉक्टर भी नहीं मिलेगा वीकेंड में, सिर्फ हस्पताल में कुछ इमरजेंसी सेवाएं चालू रहती हैं|  एक अपना देश है जहाँ काम के घंटे रात को 11 बजे भी ख़त्म नहीं होते और शनिवार और रविवार से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता|

अपनी खुद की कार होना तो हिंदुस्तान में भी गर्व की बात होती है और स्टेटस सिंबल होता है, तो यहाँ पर भी कार लेकर बहुत अच्छा महसूस हुआ| लेकिन कुछ दिन बाद देखा कि यहाँ तो हर व्यक्ति के पास कार है लेकिन मोटरसाइकिल बहुत कम लोगों के पास है| यहाँ वीकेंड्स में तो बाइकर्स की गैंग निकलती है और उनकी बाइक्स ऐसी कि देख कर ऑंखें खुली की खुली रह जाएँ| या तो हर्ले डेविडसन या बी एम् डब्ल्यू की बाइक और वो भी इतनी भव्य कि क्या कहा जाए| खैर बाद में पता चला कि यहाँ बाइक रखना स्टेटस सिंबल होता है क्योंकि एक बाइक की कीमत में आप यहाँ कई कारें खरीद सकते हैं| हाँ अपने देश वाली बाइक्स भी दिखती है, लेकिन सिर्फ पिज़्ज़ा डिलीवरी वालों के पास| यहाँ तक कि एक वेस्पा स्कूटर की कीमत यहाँ एक अच्छी कार की कीमत के बराबर है|ttp6bikeride26-25-11-2012-14-11-03-175

साइकिल सवार भी यहाँ इस तरह से चलते हैं कि लगे जैसे कोई बाइक से जा रहा हो| हेलमेट लगाकर और कुछ ऐसी ड्रेस पहनकर जो दूर से ही दिख जाए और अगर रात में साइकिल सवार जा रहा हैं तो उसके हेलमेट में लाइट भी होगी| साइकिलिंग भी यहाँ एक व्यायाम का हिस्सा हैं और अक्सर वीकेंड्स में लोग लंबी लंबी दूरी तक साइकिल से जाते हैं| यहाँ तक कि रात में कुछ लोग दौड़ने भी निकलते हैं तो लाइट लगी हुई हेलमेट लगाकर| मतलब हर चीज को एक सलीके से और स्टाइल में, लेकिन अगर आप बाहर के एरिया में निकल जायेंगे तो आपको गरीबी भी दिख जाती हैं|

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हाईवे पर सड़क के किनारे बाएं तरफ एक हिस्सा रहता हैं जो कि इमरजेंसी लेन कहलाता हैं| ये मुख्य रूप से एम्बुलेन्स, पुलिस या किसी और इमरजेंसी के लिए ही होता हैं और सामान्य तौर से कोई अन्य व्यक्ति इसका इस्तेमाल नहीं करता हैं| हाँ अगर किसी की फ्लाइट छूट रही हो तो वो भी इसका इस्तेमाल कर सकता हैं, बशर्ते वह जुर्माना भुगतने के लिए तैयार हो|

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कुल मिलाकर लोग यहाँ जीवन को बहुत व्यवस्थित तरीके से और पूरी जिंदादिली से जीते हैं और यहाँ से वापस जाने पर सालों लग जाते हैं इन चीजों को भुलाने में|

 

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जोहान्सबर्ग से चिट्ठी -8

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