यहाँ डिनर का समय साढ़े छह बजे से शुरू हो जाता है और लगभग आठ बजे तक समाप्त. एसे ही बहुत से रोचक इंट्रेस्टिंग फेक्ट हमें बता रहे हैं जोहान्सबर्ग डायरी से बनारस के विनय कुमार
एक हफ्ता तो हम लोगों ने होटल में ही बिताया और उसके बाद अपने घर में गए| उस दौरान रोज होटल से ही अपने कार्यालय जाना हुआ| पहले दिन जब मैं अपने कार्यालय पहुँचा तो चकित रह गया, वैसे पता तो था कि अपना बैंक शहर के सबसे बड़े और भव्य शॉपिंग माल में है| सैंडटन के शॉपिंग माल में स्थित अपने कार्यालय को देखकर लगा जैसे किस दुनिया में आ गए| कहाँ हिंदुस्तान में स्थित अपनी शाखाएं, जहाँ भीड़ भाड़, शोरगुल, गन्दगी और दिन भर आते लोगों का सामना करना पड़ता था, वहीं यहां पर आदमी का पता नहीं| एकदम चमचमाता हुआ ऑफिस, कुल पांच कर्मचारी और निहायत ही शांत माहौल| शायद पूरे हफ्ते में एक या दो आदमी आते हैं और हफ्ता भी सिर्फ साढ़े चार दिन का|
दरअसल यहाँ पर हफ्ते में कार्य करने के सिर्फ 5 दिन हैं और शुक्रवार को दोपहर दो बजे के बाद आदमी वीकेंड के मूड में आ जाता है| यहाँ पर आदमी अपनी जिंदगी को भरपूर जीता है, अपने हिंदुस्तान की तुलना में कई गुना ज्यादा| शुक्रवार शाम को अधिकांश लोग किसी न किसी जगह निकल जाते हैं और फिर रविवार शाम को ही लौटते हैं| पूरे दो दिन जम के पार्टी, शराब और घूमना, फिर वापस सोमवार से काम| लोग समय के बेहद पाबंद होते हैं खासकर श्वेत आबादी, बाकी मूल अफ़्रीकी लोग तो थोड़ा बहुत देर सबेर भी कर लेते हैं|
पहले हफ्ते में ही एक और बेहद दिलचस्प बात पता चली, एक डिनर का न्यौता आया| जब मैंने समय देखा तो उसमें शाम के साढ़े छह बजे लिखा हुआ था| मुझे लगा कि गलती से लिख दिया होगा, शाम को सात बजे तो हम लोग चाय पीते हैं हिंदुस्तान में और डिनर तो रात नौ के बाद ही होता है| लेकिन जब मैंने पूछा तो लोगों ने बताया कि यहाँ डिनर का समय साढ़े छह बजे से शुरू हो जाता है और लगभग आठ बजे तक समाप्त| डेढ़ घण्टा भी इसलिए, क्योंकि लोग पहले ड्रिंक करते हैं और फिर खाना खाते हैं| अब पहली डिनर पार्टी में तो ऐसा लगा जैसे हम लंच देर से करने जा रहे हैं| लोग यहाँ जल्दी सो जाते हैं और सुबह बहुत जल्दी, लगभग चार बजे उठ जाते हैं| सुबह उठकर सबसे जरुरी काम होता है जिम जाना और अगर सुबह नहीं जा सकते तो शाम को तो जरूर जाते हैं| शारीरिक फिटनेस पर बहुत ध्यान देते हैं यहाँ के निवासी और इसी वजह से ज्यादा उम्र तक जिन्दा रहते हैं| यहाँ आप अस्सी साल से भी ज्यादा के लोगों को आप आराम से कर चलाते और काम करते देख सकते हैं|
अब कहाँ हम लोग रात को एक बजे तक सोने वाले और सुबह सात बजे उठने वाले, और कहाँ ये देश| कई महीने लग गए इनके समय के साथ समय मिलाने में|
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