भिखारी दुनिया के हर हिस्से में मिल जाते हैं लेकिन जोहान्सबर्ग के भिखारी थोड़ा अलग तरीके से भीख मांगते हैं , वो तरीका क्या है ये बता रहे हैं बनारस से जोहान्सबर्ग पहुंचे विनय कुमार देशी अंदाज में
शुरूआती दौर में जब भी कार किसी सिग्नल पर रूकती, कुछ स्थानीय लोग, जिन्हें आप भिखारी भी कह सकते हैं, अपने हाथ में काली वाली बड़ी पॉलीथिन लेकर खड़े दिख जाते| मुझे ठीक से समझ नहीं आता था कि आखिर इस तरह से क्यूँ खड़े रहते हैं ये लोग| धीरे धीरे समझ आया कि यहाँ पर लोग गाड़ी चलाते समय भी नाश्ता करते रहते हैं, जूस इत्यादि भी पीते है और जब चौराहों पर रुकते हैं तो इन लोगों की बड़ी पॉलिथीन में कचरा डाल देते हैं| साथ ही साथ इन लोगों को कुछ खाने के लिए या कुछ पैसे भी दे देते हैं| अब इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि सड़क पर कचरा नहीं फैलता (आप कल्पना कीजिये बनारस में कोई अगर कार में कुछ खाता है तो क्या करता है, मौका मिलते ही कचरा बड़े आराम से सड़क पर फेंक देता है)|
कुछ समय बीतने पर ये पता चला कि यहाँ सड़कों पर भीख मांगने वालों के तीन प्रकार हैं| इनमे अधिकतर तो ये काली पॉलिथीन लिए युवक होते हैं जो रुकी हुई हर कार के पास जाते हैं और बिना ज्यादा हुज्जत के आगे बढ़ जाते हैं| दूसरा प्रकार उनका है जो कोई तख्ती हाथ में लेकर भीख मांगते हैं और वो भी ज्यादा तंग नहीं करते| चुपचाप खड़े रहकर अपनी तख्तियां दिखाते हुए हर कार के पास जाते हैं और जो मिल जाये उसमें संतुष्ट| अब इनकी तख्तियां कभी कभी इतनी दिलचस्प होती हैं कि पढ़ कर हँसते हँसते हालत खराब हो जाती है (एक तख्ती पर लिखा था कि मेरी बिल्ली ने पडोसी का मुर्गा खा लिया और अरेस्ट हो गयी, उसके बेल के लिए पैसे चाहिए| एक तख्ती पर लिखा था कि मेरी बीबी का अपहरण निंजा ने कार लिया है और मुझे कुंगफू सीखने के लिए पैसे चाहिए)| अक्सर उन तख्तियों पर एक ही बात लिखी दिखती है, हमें इस क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाना है (इस शहर को ऐसे ही सबसे ज्यादा अपराधग्रस्त क्षेत्रों में नहीं गिना जाता, यहाँ वास्तव में अपराध बहुत होते हैं)| एक तीसरा प्रकार उनका है जो विकलांग होते हैं और या तो अकेले या किसी के साथ भीख मांगते हैं| इनके अलावा कुछ बदमाश भी होते हैं जो आपको तंग भी करते हैं और इतना गिड़गिड़ाते हैं कि आप का दिल पसीज जाए| कुछ महिलाएं भी हैं जो अपने बच्चे को लेकर भीख मांगती हैं, लेकिन बच्चे उनके ही होते हैं ये पता चल जाता है हम लोगों को|
इधर हाल के समय में एक नयी जमात पैदा हुई है यहाँ, जो भिखारी तो नहीं हैं, बस आपकी कार का विंडस्क्रीन साफ़ करते हैं और बदले में जो मिल जाए उसे ले लेते हैं| सबसे अच्छी बात यहाँ ये है कि आप किसी को भी कुछ भी खाने के लिए दीजिये, चाहे वो भिखारी हो, या आपका गेट कीपर या आपके घर काम करने वाली बाई, ये लोग बेहद खुश होते हैं और ताली बजाकर आपका शुक्रिया करते हैं| सच में दिल खुश हो जाता है इनको कुछ खाने के लिए देकर, थोड़े से खाने के बदले इतनी दुआएं जो मिल जाती हैं|
लेकिन एक चीज पूरे देश में कामन है, सभी मांगने वाले अश्वेत ही होते हैं, शायद ही कोई श्वेत व्यक्ति भीख मांगते दिखा हो| वजह भी पूरी तरह से आर्थिक है, अश्वेत तबका ही यहाँ आर्थिक रूप से कमजोर है|
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