भारत में कोइ एक बार मैदान में जाकर क्रिकेट मैच देख ले तो गंगा नहाकर पाप धो लिए वाली फीलिंग आती है. अगली बार जाने का मन ही नहीं करता. सौ दिक्कतें पार करके मैच देखने जाओ उसके बाद अंदर ना ड्रिंक ना स्नेक्स.पर बनारस के विनय कुमार ने जोबर्ग में पाया कि जो एक बार मैच देखने आएगा वो बार बार आएगा. आखिर मजा ही बिलकुल अलग है यहाँ के मैदानों का .
अगर आपको कोई अंतरराष्ट्रीय किकेट मैच हिंदुस्तान में देखना हो तो ऐसा लगता है जैसे आप किसी जेल में जा रहे हों और कुल मिलाकर अनुभव कुछ बहुत अच्छा नहीं होता| कई घंटे तक लाइन लगाकर आप स्टेडियम में पहुँचते हैं और आपको बहुत कम चीजें अंदर ले जाने की इजाजत होती है|फिर वापस निकलने में पुनः घंटों लगते हैं और फिर पार्किंग में से अपनी गाड़ी लेकर निकालते समय तक आप एक तरह से तौबा कर लेते हैं|
लेकिन यहाँ पर किसी अंतरराष्ट्रीय मैच को देखना इतना सुखद अनुभव होता है कि आप चाहेंगे कि बार बार ऐसे मैच हों और आपको इन्हें देखने का मौका मिले| अब चूँकि मेरा घर यहाँ के सबसे मशहूर और महत्वपूर्ण स्टेडियम वांडरर्स के ठीक सामने है तो मैं तो सभी मैचों का आनंद लेता रहता हूँ| यहाँ मैच देखने का मतलब सिर्फ मैच देखना नहीं होता है, बल्कि परिवार के साथ या दोस्तों के साथ भरपूर पिकनिक मनाना होता है| आप यहाँ अपने साथ ड्रिंक, खाने पीने का सामान, छोटा टेंट जिसके नीचे आप आराम से चद्दर बिछाकर सोते हुए मैच देख सकते हैं|
एक मैच तो मैदान के अंदर चल रहा होता है लेकिन यहाँ पर घांस के एरिया में बच्चे बहुत से क्रिकेट और फुटबॉल मैच साथ साथ खेल रहे होते हैं| यहाँ के स्टेडियम में कई तरह के स्टैंड हैं और उनमें सबसे प्यारा स्टैंड होता है घांस वाला एरिया| यह पूरी तरह से पिकनिक के लिए होता है और बच्चे खूब मस्ती करते है| पूरे स्टेडियम में कम से कम एक बैंड तो होता ही है जो लगातार बजता रहता है और लोग बियर पीते हुए नृत्य करते रहते हैं| लोगों की वेशभूषा भी देखने लायक होती है और कुल मिलाकर माहौल गजब का होता है|
मैंने कभी पढ़ा था कि विदेशों में मैच के दरम्यान कुछ स्ट्रीकर्स (निर्वस्त्र लोग) घुस जाते हैं और खूब शोर शराबा होता है| लेकिन जब मैं पहला ही अंतरराष्ट्रीय मैच जो दक्षिण अफ्रीका और पकिस्तान के बीच हुआ था, देखने गया तो इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ| टी २० मैच था और पहली पारी ख़त्म होने के बाद बारिश शुरू हो गयी| अब मैच तो बंद था और लोग छाते लगाकर बारिश ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे थे| मैं भी छाता लगाए बैठा था तभी अचानक से शोर हुआ और नजर मैदान में गयी जहाँ एक व्यक्ति दौड़ रहा था और उसके पीछे पीछे सुरक्षा कर्मी दौड़ रहे थे|गौर से देखने पर पता चला कि वह एक स्ट्रीकर था और पूरा स्टेडियम खूब शोर कर रहा था| खैर तीन चार बार गिरने पड़ने के बाद सुरक्षा कर्मी उसे किसी तरह पकड़कर बाहर ले गए और शोर थमा| लेकिन दस मिनट बाद ही फिर से एक स्ट्रीकर घुसा और फिर वही शोर शराबा और उसे पकड़ने के लिए सुरक्षा कर्मियों की दौड़ भाग| खैर जब तक बारिश नहीं बंद हुई, ये मनोरंजन चलता रहा और फिर मैच शुरू हुआ|
मैच के समय पार्किंग के लिए भी यहाँ गजब की व्यवस्था होती है| बहुत सारे स्थानीय लोग लोगों की गाड़ी पार्किंग कराने के लिए लगे रहते हैं| सड़क के दोनों ओर और कभी कभी सड़क के बीच में भी गाड़ियां खड़ा कराई जाती हैं| काफी दूर से ही पार्किंग कराने वाले आपको क्रिकेट के शॉट का इशारा करके पूछते हैं कि क्या आप मैच देखना चाहते हैं| अगर आपकी गाड़ी धीरे हुई तो वो समझ जाते हैं और फिर आपकी गाड़ी के साथ कभी कभी तो आधे किलोमीटर तक की दौड़ लगाते हैं, जब तक कि आप की गाड़ी पार्क न करा दें|
एक और बात है यहाँ कि अगर मैच वन डे या टेस्ट मैच है तो लंच ब्रेक या टी ब्रेक में मैदान को दर्शकों के लिए खोल दिया जाता है| अब आधे घंटे तक दर्शक मैदान पर क्रिकेट खेलते रहते हैं, या फोटो लेते रहते हैं| उसके बाद सब लोग बाहर निकल जाते हैं और वापस मैच स्टार्ट|
कुल मिलाकर अगर मैच देखने का स्वर्गिक आनंद लेना है तो यहाँ आकर लीजिये और साथ साथ पिकनिक फ्री मनाईये|
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