किसी भी शहर के ट्रांसपोर्ट से शहर की अन्दूरनी व्यवस्था को आंका जाता है. कहते हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत ही शहर की असली हालत होती है. बनारस के विनय कुमार बता रहे हैं जोबर्ग की ट्रांसपोर्ट की हालत . पढ़िए और जानिए वहां किस तरह मौजूद है थर्ड एसी सेकेण्ड एसी और जनरल डब्बा .
लोगों ने तो शुरू में ही बता दिया था कि यहाँ पर यातायात के साधन सीमित हैं| यही वजह है कि यहाँ हर व्यक्ति के पास कार दिखती है| लेकिन अगर किसी को दक्षिण अफ्रीका का इतिहास और महात्मा गांधीजी के बारे में पता हो तो उसके लिए थोड़े आश्चर्य की बात होगी| अब अगर यहाँ ट्रेन नहीं चल रही होती, तो शायद पीटर मेरिट्सबर्ग की घटना नहीं होती जिसमें गांधीजी को ट्रेन के फर्स्ट क्लास डब्बे से धक्के देकर बाहर फेंक दिया गया था | इसी घटना ने मोहनलाल को महात्मा बनाने में शायद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और सम्पूर्ण विश्व को एक ऐसा व्यक्ति दिया जिसके बारे में आगे की पीढियां शायद विश्वास भी नहीं कर पाएंगी|
खैर, यहाँ ट्रेन तो चलती है लेकिन उनके तीन विभिन्न प्रकार हैं| पहली ट्रेन, मेट्रो रेल, जो देश के विभिन्न भागों में तो चलती है लेकिन इस ट्रेन में सिर्फ अश्वेत और गरीब आबादी ही सफर करते है| यह बिलकुल हमारे देश की पैसेंजर ट्रेन जैसी है लेकिन हमने न तो खुद आजतक इसमें सफर किया है और न हीं कभी किसी और पर्यटक या श्वेत व्यक्ति को करते देखा है|
दूसरी ट्रेन है हाउ ट्रेन जो अपने देश की मेट्रो ट्रेन जैसी है, पूरी तरह वातानुकूलित और बहुत तेज गति से चलने वाली| यह ट्रेन बहुत कम जगहों पर उपलब्ध है और एयरपोर्ट को शहर के कई हिस्सों से जोड़ती है| इसका किराया काफी ज्यादा होता है और आमजन इसमें सफर नहीं करते हैं| तीसरी ट्रेन है ब्लू ट्रेन, यह दुनियां के दस सबसे महंगे ट्रेन में से एक है और यह मुख्य रूप से पर्यटन के लिए है| इसका किराया बेहद महंगा है और इसमें सफर करने की हिम्मत हम जैसों में नहीं है| अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि आप को जोबर्ग से केपटाऊन जाना हो तो हवाई जहाज में आप लगभग 1000 ज़ार(5000रूपये) में जा सकते हैं, लेकिन अगर आप को ब्लू ट्रेन से जाना है तो लगभग इसका १० से पंद्रह गुना ज्यादा खर्च करना होगा|
एक और खूबी है यहाँ, आप को टैक्सी के तौर पर मर्सिडीज और बी एम् डब्ल्यू हर तरफ दिख जाएँगी और आप इनमे सफर करके अपने आप को महाराजा जैसी फीलिंग दे सकते हैं| दरअसल इस देश में ये कारें बनती हैं और इनपर छूट भी होती है जिसके चलते हर कोई इसे ले सकता है (अपने देश में तो बी एम् डब्ल्यू का मर्सिडीज वाला करोड़पति ही माना जाता है)|
यहाँ आम जनता के लिए टैक्सी चलती है जिसमें हम लोगों के लिए बैठना नामुमकिन है| देखने में इतनी ख़राब नहीं होती लेकिन सुरक्षा कि दृष्टि से लोग मना करते हैं| लेकिन रोड पर आप इनको चलता देखेंगे तो आपको हिंदुस्तान के टेम्पो वाले याद आ जायेंगे| टैक्सी वाले किसी भी ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करते हैं और उनसे अपने कार का या अपने आप का बचाव करना आपकी अपनी जिम्मेदारी होती है| जोबर्ग में तो सामान्य टैक्सी ही दिखती है लेकिन अगर आप डरबन चले जाईये तो आपको एक से बढ़कर एक रंगबिरंगी टैक्सी दिखाई पड़ेगी| वहां पर अधिकतर टैक्सियां अफ़्रीकी भारतीय लोग ही चलाते हैं और आप को लगेगा कि आप दक्षिण भारत के किसी हिस्से में आ गए हैं| बसें भी यहाँ चलती हैं जो कि यहाँ के आमजन के लिए ही हैं, हमारे जैसे आप्रवासियों के लिए नहीं| हाँ टूरिस्ट बसों में आप आराम से सफर कर सकते हैं|
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