बांगड़ूनामा

जीवन की रेल

अक्टूबर 7, 2016 सुचित्रा दलाल

हरियाणा की तरह हरियाणा मै पैदा होन वाले लेखक भी अनोखे  है . हरियाणा के मशहूर लेखक पंडित लख्मीचंद नै भले ही कदै स्कूल का मुंह भी ना देखा लेकिन उनकी लिखी रागनियां और किस्सा (हरियाणवी लोकगीत ) नै हरियाणा ही ना बल्कि पुरे देश मै फैली बुराइयां पै  कटाक्ष करा . पशु चराते-चराते लख्मीचंद नै सबकुछ सीखा ओएबांगड़ू आज पढ़ पंडित लख्मीचंद कि कविता जीवन की रेल

हो-ग्या इंजन फेल चालण तै, घंटे बंद, घडी रहगी
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी
भर टी-टी का भेष रेल में बैठ वे कुफिया काल गये
बंद हो-गी रफ्तार चलण तैं, पुर्जे सारे हाल गये
पांच ठगां नै जेब कतर ली, डूब-डूब धन-माल गये
बानवें करोड़ मुसाफिर थे, वे अपना सफर संभाल गये
उठ-उठ कै चले गए, सब खाली सीट पड़ी रहगी
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रहगी
टी-टी, गार्ड और ड्राइवर अपनी ड्यूटी त्याग गए
जळ-ग्या सारा तेल खतम हो, कोयला पाणी आग गए
पंखा फिरणा बंद हो-ग्या, बुझ लट्टू गैस चिराग गए
पच्चीस पंच रेल मैं ढूंढण एक नै एक लाग गए
वे भी डर तैं भाग गए, कोए झांखी खुली भिड़ी रहगी
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी
कल-पुर्जे सब जाम हुए भई, टूटी कै कोए बूटी ना
बहत्तर गाडी खड़ी लाइन मैं, कील-कुहाड़ी टूटी ना
तीन-सौ-साठ लाकडी लागी, अलग हुई कोई फूटी ना
एक शख्स बिन रेल तेरी की, पाई तक भी ऊठी ना
एक चीज तेरी टूटी ना, सब ठौड़-की-ठौड़ जुड़ी रह-गी
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रहगी
भरी पाप की रेल अड़ी तेरी पर्वत पहाड़ पाळ आगै
धर्म-लाइन गई टूट तेरी नदिया नहर खाळ आगै
चमन चिमनी का लैंप बुझ-ग्या आंधी हवा बाळ आगै
किन्डम हो गई रेल तेरी जंक्शन जगत जाळ आगै
कहै लखमीचंद काळ आगै बता किसकी आण अड़ी रहैगी
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी

– पं० लखमीचंद

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