दिल्ली में चलने वाली इण्डस्ट्रीज़ देश की अर्थव्यवस्था और लाखो लोगो की रोजी-रोटी में भले ही अहम भूमिका निभाती है. लेकिन दिल्ली के इण्डस्ट्रियल एरिया हर दिन अपनी हालत पर आंसु बहा रहा है. दिल्ली के 9 जोन्स में बने अधिकतर इण्डस्ट्रियल एरिया में ना तो कस्टमर जाना चाहते हैं और ना ही नए उद्योगपति इनका रूख कर रहे हैं।
सड़कों के नाम पर गड्डे और गलियों में बहता पानी ही इण्डस्ट्रियल एरिया की पहचान बन चुका है. जहाँ आईटी, हैंडलूम, फैशन, टैक्सटाइल, इलैक्ट्रॉनिक्स, इलैक्ट्रीकल व इंजीनियरिंग की कई बड़ी इण्डस्ट्रीज हैं। लेकिन सालों से इन्हें रेनोवेशन का इंतजार है।
दिल्ली में कीर्ति नगर जहां एशिया की सबसे बड़ी लकड़ी की इण्डस्ट्रीज में शुमार हैं, वहीं मायापुरी एशिया की सबसे बड़ी और फेमस जंग मार्केट है। नारायणा में भी हजारों छोटी- इण्डस्ट्रीज चल रही हैं। लेकिन हर जगह का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहाल है।
दिल्ली सरकार और दिल्ली स्टेट इण्डस्ट्रियल एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काँर्पोरेशन (DSIIDC) के बीच इण्डस्ट्रियलिस्टस पीस रहे है. जिन्हें ना चाहते हुए भी बदहाल हो चुके इण्डस्ट्रियल एरिया में काम करना पड़ रहा है. सरकार इण्डस्ट्रियल एरिया के रखरखाव की जिम्मेदारी DSIIDC को सौंपे जाने की बात कह कर पतली गली से निकल रही है और DSIIDC इण्डस्ट्रियलिस्टस से मेंटीनेंस चार्ज की अलग से डिमांड कर रहा है.इन सब के बीच इण्डस्ट्रियल एरिया के हाल बेहाल .