हमारे चमन बहुत बड़े सर दर्द हैं, आजकल उन पर बहिष्कार का भूत सवार है, फिलहाल उन्होंने फोन का बहिष्कार कर रखा है और आफिस को चिट्ठियां भेजते हैं. चंकी महाराज उनकी चिठ्ठियाँ छाप दे रहे हैं . प्लीज किसी को बताना मत हाँ
प्रिय बांगडू ,
कैसे हो , आधा घंटा पहले तुमसे मिला था, तब मजे में थे, काम की बात यह है कि ओमपुरी की सभी फ़िल्में जो तुम्हारे दिमाग में हैं उन्हें डीलीट मार दो. भूल जाओ कि अपनी पूरी उम्र उन्होंने भारतीय होकर गुजारी है. आज (एक सड़ी सी) टीवी डीबेट में एंकर के (टीआरपी बढाने की खातिर ) भडकाने पर उन्होंने कहा कि “फ़ौजी जबरदस्ती नहीं भेजे जाते ” . उनकी बस इस बात को जेहन से चिपकाए रखो और उनके खिलाफ लम्बी लम्बी सोशल मीडिया पोस्ट बनाना शुरू कर दो. देखो तुम्हे नौरात्रे चल रहे हैं तुम्हे सच्चे दरबार की कसम जो तुमने ओमपुरी की पूरी डीबेट सुनने की जेहमत उठायी तो. माता रानी पाप लगाएगी अगर तुमने ओमपुरी की सारी बातें अक्षरशः सुनने का प्रयास भी किया. तुम मीडिया में आयी और सोशल मीडिया में छाई बस इतनी सी बात पर पूरा फोकस करो कि ओमपुरी देशद्रोही है ओमपुरी गद्दार है.
बड़ी मुश्किल से तुम्हे ये चिट्ठी लिख पा रहा हूँ, पूरी दिल्ली मेट्रो में नोएडा से द्वारका के रस्ते में किसी एक के पास भी पेन और कागज नहीं मिला , कितने गंवार हैं ये मेट्रो वाले . हर कोइ मोबाईल इस्तेमाल करने की फिजूल सी सलाह दे रहा था. इन्हें कौन समझाए, हमने देशप्रेम में चाईनीज फोन की बैटरी निकाल फेकी है. अब जब स्वदेशी बाबा स्वदेशी चन्दन की लकड़ी वाली बैटरी इजाद करेंगे हम देशप्रेमी तभी फोन बाहर निकालेंगे. तब तक के लिए पत्र व्यवहार चलता रहे. चिट्ठी को द्वारका से पोस्ट कर रहा हूँ. कृष्ण की द्वारका नहीं मेट्रो की द्वारका. पत्र पहुँचते ही सूचित करना .
तुम्हारा चमन (आगे जो मर्जी जोड़ लो )