दिल्ली कि सडको में ऑन फूट भटकते रहने वाली रिंकी बस से ले कर कैब तक के अनुभव लेकर इतना मोटा गयी है की उसे अब अनुभव निचोड़ एक्सरसाइज़ करने की सख्त जरुरत है. फिलहाल वो oyebangdu के संग राजौरी में पान की दूकान का अनुभव निचोड़ रही है.
मै एक दिन राजौरी की खूबसूरती में खोयी-खोयी मार्किट को क्रॉस कर गयी और अचानक ही नजर बोलती बंद पान की दूकान पर पड़ गयी. दूकान पर खड़े कई लौंडे ज़िन्दगी को धुंए में उड़ा रहे थे और अपनी सिगरेटबती के धुंए से दुसरों की ज़िन्दगी के दिन चुरा रहे थे. खैर सिगरेटबती के भगतो को अनदेखा कर मै चली गयी, उस स्पेशल दुकान पर और करने लगी पूछताछ बोलती बंद पान पर. अरे मुझे लग रहा था क्या पता भई कुछ ऐसा हो कि ” इस पान को मुंह में डाल , चिपका ले बोलती फेविकोल से” टाइप कुछ हो. लेकिन जब बोलती बंद पान के बारे में पान वाले भैया ने बताना शुरू किया तो कुछ और ही राज़ खुला . तो हुआ कुछ युं कि पान वाले भैया जब पान बनाने में एक्सपेरिमेंट करने लगे तो उन्होंने बड़ा सा पान इजाद किया तो लोगो ने कहना शुरू कर दिया कि अरे भैया तुम्हरा बनाया पान खाने पर तो बोलती ही बंद हो जाती है. बस फिर क्या था हो गया बोलती बंद पान का अविष्कार. तो मैंने भी इतने सवाल पूछने के बाद अपनी बोलती कुछ देर बंद करते हुए बोलती बंद पान खाया और जब बोलती खुली तो फिर वहां का चोकलेट पान खाते हुए चल दी अपनी ऑन फूट यात्रा पर .