ओएबांगडु सआदत हसन मंटो के बारे में जानता है, फिल्मों के लिए लिखते थे हिन्दुस्तान पाकिस्तान दोनों के दिल में बसते थे, और क्या कमाल के फनकार थे हिन्दी फिल्मों की शुरुवाती दौर में इनकी कलम बहुत चली .
अरे बांगडू बड़ा दर्द था रे इनकी कलम में , जो देखते सुनते महसूस करते वही लिख भी देते , सिर्फ अच्छा ही अच्छा लिखने की शपथ नहीं ली थी इन्होने सच्चा – सच्चा लिखते थे उस समय के समाज का आईना. ये देख एक कहानी सुनाता हूँ उनकी
घाटे का सौदा
दो दोस्तों ने मिलकर दस-बीस लड़कियों में से एक चुनी और बयालीस रुपये देकर उसे ख़रीद लिया. रात गुज़ारकर एक दोस्त ने उस लड़की से पूछा : “तुम्हारा नाम क्या है? ” लड़की ने अपना नाम बताया तो वह भिन्ना गया : “हमसे तो कहा गया था कि तुम दूसरे मज़हब की हो….!” लड़की ने जवाब दिया : “उसने झूठ बोला था!” यह सुनकर वह दौड़ा-दौड़ा अपने दोस्त के पास गया और कहने लगा : “उस हरामज़ादे ने हमारे साथ धोखा किया है…..हमारे ही मज़हब की लड़की थमा दी……चलो, वापस कर आएँ…..!”