संस्कृत में
ॐ भूर्भुव स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हिन्दी में भावार्थ
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र का उर्दू तर्जुमा खुर्शीद अनवर ने किया था कुछ इस तरह से .
बख्शा मुझे तूने वजूद मेरे खुदा मेरे खुदा
हर दर्द की तू है दवा, मेरे खुदा मेरे खुदा
रहमत की बारिश भी है तू खुशियाँ भी तेरे नाम से
… तू रौशनी, तू ज़िंदगी, दानिश कदा, मेरे खुदा
है तेरे आब-ओ-ताब से बख्शिश गुनाहों को मेरे
रस्ता दिखा और इल्म दे मेरे खुदा मेरे खुदा…