दशहरे को फेसबुक पर रिलीज हुए इस कार्टून के बारे में बताया जा रहा है कि यह आज़ादी से दो साल पहले यानि 1945 में ये कार्टून छपा था। जिस पत्रिका ने इसे प्रकाशित किया उसका नाम अग्रणी था। इसे चलानेवाले थे महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड़से और नारायण आप्टे। फोटो के ऊपर महाराष्ट्र ग्रंथालय की मोहर लगी है और इसे ट्विटर और फेसबुक में बहुत देखा और शेयर किया जा रहा है.
इससे ज्यादा डीटेल इसकी बांगडू को भी नहीं पता. गूगल किया था इसके लिए हमने लेकिन पता चला कि वहां इसे किसी महिला ने पहली बार ट्विट किया था उसके बाद कुछ गोडसे भक्तों ने उसे खूब गाली दी. खैर फोटो अपने बारे में बहुत सी बातें खुद ही कह देती है इसलिए देखकर समझ जाइए.
महात्मा गांधी तक जब दशानन बन गए तो आजकल सलमान शाहरुख की शक्ल की क्या बिसात जिन्हें दिल्ली में कई जगहों पर दशानन बने खड़े पाया गया. एक रामलीला ने तो सेंटर में केजरीवाल को लगाकर अगल बगल सलमान ओमपुरी वगेरह की शक्ल बना डाली और दशानन का खुद की संहार कर डाला. बांगडू रिपोर्टर ने कन्फर्म किया कि रामलीला नहीं थी रावण संहार समिति थी. जो मतलब एक ही दिन आते रावण खड़े करते हैं जलाते हैं और चले जाते हैं.